मुरैना : आरोपी के खिलाफ रासुका की कार्रवाई के बाद नगरपालिका ने तोड़ा मकान

Gaurav Sharma
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मुरैना, संजय दीक्षित। मुरैना जिले के  पोरसा थाना क्षेत्र के गांधीनगर मॉर्डन स्कूल के पास नाबालिग बच्चियों को हवस का शिकार बनाने वाले आरोपी सद्दाम खान के मकान को नगरपालिका के अतिक्रमण विरोधी दस्ते ने हिटेची से तोड़ने की कार्रवाई की है।

आरोपी 24 नवंबर को एक 8 साल की लड़की को बुरी नीयत से पकड़ कर ले जाते समय पकड़ा गया था। बच्ची के मां-बाप ने कुछ दिन पूर्व आरोपी को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया थ,जिसमें पुलिस ने पुराने अन्य आरोपों के चलते आरोपी के खिलाफ रासुका की कार्रवाई की थी ,हालांकि नगरपालिका का कहना है कि मकान बिना अनुमति के बना था, इस पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। जवाब न देने पर यह कार्रवाई की गई है।

पुलिस बल के साथ नगरपालिका के अमले ने आरोपी का मकान तोड़ने की कार्रवाई मौके पर खड़े होकर की है।इस कार्रवाई में एसडीएम राजीव समाधिया,तहसीलदार नरेश शर्मा,नगरपालिका सीएमओ अमजद गनी,एसडीओपी अशोक सिंह, टीआई अतुल सिंह सहित उपनिरीक्षक ,आरक्षक सहित काफी संख्या में नगर निगम और पुलिस बल मौजूद था।

आरोपी का मकान तोड़ने की कार्रवाई के दौरान मौके पर आसपास के लोग बड़ी संख्या में एकत्रित हो गए थे, लेकिन किसी ने भी विरोध नहीं किया था। एसडीओपी अम्बाह अशोक सिंह यादव ने बताया कि आरोपी ने कुछ दिन पहले एक नाबालिग का अपहरण किया था। इसके पहले इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया गया है।आदतन अपराधियों में पुलिस का खोफ बना रहे इसलिए यह कार्रवाई की गई हैं।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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