पुलिस ने जुआरियों को दबोचा, 16 जुआरियों के साथ लाखों की नगदी और 13 मोबाइल किए जब्त

Gaurav Sharma
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मुरैना, संजय दीक्षित। जिले के बागचीनी थाना क्षेत्र के छैरा गांव के पास एमएस रोड पर सड़क किनारे बनी दुकानों के पीछे तंबू लगाकर जुआ खेल रहे 16 जुआरियों को पुलिस ने दबिश देकर गिरफ्तार किया है। जुआरियों के कब्जे से 13 मोबाइल फोन और 1 लाख 300 रुपए की नगदी जब्त की है।जौरा एसडीओपी सुजीत सिंह भदोरिया ने बताया कि मुखबिर द्वारा सूचना मिली थी कि छैरा गाँव में सड़क किनारे बनी दुकानों के पीछे कुछ लोग जुए का फ़ड लगाकर जुआ खेल रहे हैं।

मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने उक्त स्थान पर टीम के साथ दबिश दी तो पुलिस को देखकर जुआरी भागने का प्रयास करने लगे, तभी पुलिस ने दबिश देकर जुआ खेल रहे 16 जुआरियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की हैं।पुलिस ने मौके से 13 मोबाइल फ़ोन और एक लाख तीन सौ रुपए नगदी एवं ताश की गड्डी जब्त की हैं।आरोपियों के खिलाफ जुआ एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है।

जुआ खेलने वालों में एक जुआरी स्थाई वारंटी भी शामिल है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पकड़े गए जुआरियों में गिर्राज श्रीवास मुरैना, रामबाबू शर्मा कीरतपुर, विजेंद्र किरार, राजेश राजपूत छैरा, कल्लू यादव दुल्हैनी, रामहेत शर्मा सान्टा, विजय वर्मा,सोनी बघेल धौलपुर, महेंद्र कोरी बिलगांव, राजू कुशवाहा गोले का मंदिर, देवेंद्र यादव जाफराबाद, सुरेश त्यागी निधान, दिलीप किरार अलापुर, वजीर खान,सुरेश चंद गर्ग,सन्दीप कुशवाह जौरा का होना बताया गया है।इस कार्यवाही मे बागचीनी थाना प्रभारी अमर सिंह गुर्जर, प्रदीप त्यागी,मुकेश शर्मा,भूपेंद्र सिंह राजावत सहित सिविल लाइन व जौरा थाने का पुलिस बल भी मौजूद था।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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