शादी का झांसा देकर आरक्षक तीन साल तक करता रहा युवती के साथ Rape, गिरफ्तार

Gaurav Sharma
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उज्जैन, योगेश कुल्मी।  पुलिस (police) का धर्म आम नागरिक (comman man) की रक्षा करना है। लेकिन अगर वही रक्षक खाकी वर्दी पहन कर दुष्कर्म (rape) जैसे घिनौने अपराध को अंजाम देने लगे तो क्या हो। जी हां एक ऐसा ही मामला उज्जैन से आया है जहां एक आरक्षक ने एक युवती के साथ शादी का झांसा देकर 3 साल तक दुष्कर्म (Rape) किया।  जब युवती ने आरक्षक से शादी करने की बात कहीं तो उसने इंकार कर दिया, जिसके बाद बीती रात युवती ने आरक्षक के खिलाफ मामला दर्ज (case filed) कराया। पुलिस ने मामले को तुरंत संज्ञान में लेते हुए आरक्षक को गिरफ्तार (arrest) कर लिया।

पूरा मामला उज्जैन जिले के नीलगंगा थाना क्षेत्र का है, जहां अशोक नगर कॉलोनी निवासी युवती ने अजय अस्तेय जो कि पुलिस लाइन में आरक्षक के तौर पर पदस्थ हैं, उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया। जिसमें युवती ने बताया कि आरक्षक ने उसे शादी का झांसा देकर 3 साल तक दुष्कर्म (rape) किया।

विस्तार से जानकारी देते हुए युवती ने बताया कि वह उन्हेल की रहने वाली है और उज्जैन की न्यू अशोक नगर कॉलोनी में रहकर सिविल सर्विस की तैयारी कर रही है। वही अजय उसका पड़ोसी था। दोनों के बीच में परिचय हुआ और दोनों के बीच दोस्ती हुई और एक दूसरे को पसंद करने लगे। जिसके बाद अजय ने युवती से कहा कि वह उससे शादी करेगा। शादी की बात कह कर वो उसके साथ 3 साल से शारीरिक संबंध (Physical Relation) बना रहा है।

आगे युवती ने बताया कि जब मैं अजय से शादी की बात करती थी तो वो बहाने बनाने लगता था कि तुम पढ़ाई कर लो अभी, तुम्हारी पढ़ाई की उम्र है। शादी बाद में करेंगे। यूवती का कहना है कि जब शुक्रवार को उसे पता लगा कि अजय की सगाई दूसरी लड़की से हो गई है, तब मैंने अजय से कहा कि तुमने मुझसे शादी का वादा किया था, जिसके बाद अजय बौखला उठा और उसने मेरे साथ मारपीट की और गाली गलौज की साथ में मेरे चरित्र पर भी उंगली उठाई। मेरे परिवार वालों को भी गालियां दी।

जब इस मामले की जानकारी उज्जैन एसपी सत्येंद्र शुक्ला को लगी तो उन्होंने तुरंत जांच के आदेश दिए। जांच में आरक्षक अजय दोषी पाया गया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस जब अजय के घर उसे गिरफ्तार करने पहुंची तो वह वहां नहीं मिला। अजय शादी समारोह में शामिल होने के लिए नागझिरी गया हुआ था। जब आरक्षक शादी से वापस घर की ओर लौट रहा था तो पुलिस ने देर रात उसे नागझिरी चौराहे से गिरफ्तार कर लिया।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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