सिपाही ने छुट्टी के लिए बनाया था पत्नी का बहाना, एएसपी हुए आग बबूला, किया लाइन अटैच

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। अपने काम से छुट्टी (leave) लेने के लिए अक्सर लोगों को कई तरह से पापड़ बेलने पड़ते हैं। कोई तबीयत का बहाना बनाता है तो कोई इमोशनल ब्लैकमेल (Emotional Blackmail) करता है। एक ऐसा ही मामला मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) से आया है, जहां छुट्टी (Leave) के लिए अधिकारियों को इमोशनली ब्लैकमेल (emotional blackmail) करना एक ट्राफिक पुलिस सिपाही के लिए मुसीबत बन गया, पुलिस अफसर ने सिपाही को लाइन अटैच (line Attach) कर दिया।

पूरा मामला मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के ट्रैफिक पुलिस के एक सिपाही को लेकर है, जो की अक्सर छुट्टी पर ही रहता था। दोबारा छुट्टी बढ़ाने के लिए सिपाही ने अपने अधिकारी को एक अवेदन पत्र लिखा था, जिसमें उसने कहा था कि मेरे सगे साले की शादी है और अगर मैं शादी में नहीं पहुंचा तो पत्नी ने मुझे धमकी दी है कि आप परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। इस खत को पढ़ने के बाद एसपी गुस्से से आग बबूला हो गए, जिसके चलते उन्होंने उसे ड्यूटी से लाइन अटैच कर दिया। बता दें कि सिपाही बीते 11 महीने में 55 छुट्टियां ले चुका था।

सिपाही दिलीप अहिरवार भोपाल में ट्रैफिक पुलिस का आरक्षक है, उसने बीते दिन ट्रैफिक एसपी को छुट्टी के लिए आवेदन लिखा था, जिसमें उसने लिखा कि 11 दिसंबर को मेरे सगे साले की शादी है। इसलिए मुझे 5 दिन का अवकाश दिया जाए। साथ ही उसने आवेदन नोट में लिखा कि पत्नी का स्पष्ट कहना है कि अगर भाई की शादी में नहीं आए तो परिणाम अच्छा नहीं होगा। दबाव बनाने वाले इस पत्र की जानकारी जैसे ही एसपी ट्राफिक संदीप दीक्षित को लगी तो उन्होंने उसे लाइन अटैच कर दिया। एसपी संदीप दीक्षित का कहना है कि दिलीप लगातार छुट्टी पर रहता है। इस तरह से छुट्टी के लिए आवेदन देना अच्छा नहीं था, इसलिए उसे लाइन अटैच कर दिया।

सिपाही दिलीप अहिरवार के बारे में बताते हुए संदीप दीक्षित कहते हैं कि अक्सर दिलीप छुट्टी पर रहता है वह अभी कुछ दिन पहले ही छुट्टी से लौटा है। वो 28 नवंबर तक छुट्टी पर था। पिछले 11 महीनों में वो 55 से ज्यादा छुट्टी ले चुका है। हर बार किसी न किसी कारण को लेकर वह छुट्टी पर चला जाता है। बता दे कि भोपाल में किसान आंदोलन के चलते हैं पुलिस ने छुट्टियों पर रोक लगा दी है। वही दिलीप के मामले को लेकर अधिकारियों को कहना है कि संवेदना पाने के लिए दिलीप ने छुट्टी का यह तरीका इजाद किया होगा। वैसे विभाग में आवश्यकता के अनुसार हर किसी को अवकाश दे दिया जाता है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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