ट्रैफिक कॉन्स्टेबल की नेकी ने उसे रातों रात बना दिया सोशल मीडिया स्टार, देखें वीडियो

Gaurav Sharma
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हैदराबाद, डेस्क रिपोर्ट। शहर के एक व्यस्त रोड पर लगभग 2 किलोमीटर तक दौड़कर ट्रैफिक साफ करने वाले एक ट्रैफिक कॉन्स्टेबल (traffic constable) का वीडियो (video viral) सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है और नेटिजन्स द्वारा कॉन्स्टेबल  की खूब तारीफ भी की जा रही है।

दरअसल, हैदराबाद के एक ट्रैफिक कॉन्स्टेबल जी.बाबजी (g.babji) कोटी के पास ड्यूटी पर थे, जब उन्होंने शाम को पीक ट्रैफिक के दौरान एक एम्बुलेंस (ambulance) को रास्ते से निकलने के लिए संघर्ष करते देखा। इसके बाद बिना देरी करे कॉन्स्टेबल ने लगभग 2 किलोमीटर तक चल कर रास्ता साफ करवाया, ताकि ड्राइवर मरीज को जल्दी से जल्दी अस्पताल ले जा सके।

 

ये नेक काम करते वक्त ट्रैफिक कॉन्स्टेबल ने जरा भी नहीं सोचा होगा कि वो सोशल मीडिया पर स्टार बन जाएंगे। दरअसल, एम्बुलेंस में मौजूद किसी व्यक्ति ने उनके इस नेक काम का वीडिया बना दिया और इसे सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। और फिर होना क्या था, ट्रैफिक कॉन्स्टेबल का ये नेक काम सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो गया। जिसके बाद लोग ट्रैफिक कॉन्स्टेबल को हीरो कॉप (hero cop) कहकर उनकी प्रशंसा कर रहे है।

वहीं बाबजी की तारीफ करते हुए हैदराबाद के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (यातायात) अनिल कुमार ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ट्रैफिक के बावजूद एचटीपी अधिकारी बाबजी ने एम्बुलेंस के लिए रास्ता साफ करवाया, बहुत ही अच्छा किया..नागिरकों की सेवा के लिए एचटीपी हमेशा आगे आते रहेगा। जहां अधिकांश लोगों ने बाबाजी की प्रशंसा की, वहीं उनमें से कई लोगों ने सवाल उठाए कि जनता एम्बुलेंस के सायरन के बाद भी रास्ता क्यों नहीं बना रही थी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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