रास्ता भटकी PoK की दो बहनों की आज हुई घर वापसी, सेना ने तोहफे देकर किया रवाना

Gaurav Sharma
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। गलती से सरहद पार कर अगर कोई भारतीय पाकिस्तान (Pakistan) पहुंच जाता है, तो वहां की सेना भारतीयों के साथ जुल्म करती है और जेलों में बंद कर देती है, जिस पर कई फिल्में भी बन चुकी है। हालांकि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (Pakistan Occupied Kashmir) निवासी दो सगी बहनों की किस्मत अच्छी थी कि वह गलती से भारत की सरहद पर पहुंच गई थी। जिनपर भारतीय सेना (Indian Army) की नजर पड़ी और उनके साथ पूछताछ के बाद उन्हें खाना खिलाया। आज भारतीय सेना ने दोनों बहनों की सुरक्षित घर वापसी की है।

भारतीय सेना ने खिलाया खाना

PoK (Pakistan Occupied Kashmir) से सीमा पार कर कश्मीर में दाखिल हुई बहनों को भारतीय सेना ने लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) पर रविवार यानि 6 दिसंबर को पकड़ा था। जिसमें एक लड़की की पहचान 17 साल की लायबा जबैर (laiba jabair) और दूसरी की 13 साल की सना जबैर (sana jabair) के रूप में हुई। वहीं घर वापसी के पहले दोनों बहनों का एक वीडियो जारी हुआ है, जिसमें बड़ी बहन लायबा ने बताया कि वे दोनों बहने गलती से सीमा पार कर कश्मीर की सरहद पर पहुंच गई, जहां वे दोनों काफी डरे हुए थे। दोनों को लगा कि सरहद पर तैनात सेना के जवान उन्हें मारेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। सेना के जवान ने उनके साथ पूछताछ कर उन्हें खाना खिलाया और आज उन्हें वापस घर भेज रहे है।

LOC पर तैनात सैनिकों ने देखा

रविवार को पुंछ सेक्टर पर LOC में तैनात भारतीय सैनिकों ने दो लड़कियों को सरहद पर देखा, जहां सभी हैरान हो गए। पहले तो सैनिकों ने दोनों लड़कियों को अपने कब्जे में लिया और फिर पूछताछ की। जिससे पता चला कि वह दोनों सगी बहनें और गलती से सरहद पार कर गई है।

गलती से पहुंची थी भारतीय सीमा पर

भारतीय सैनिकों ने जब दोनों बहनों से पूछताछ की तो उन्होंने कहा कि वह घूम रही थी और गलती से वे दोनों (LOC) पर पहुंच गई। उन्हें LOC के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, उन्होंने कहा कि दोनों POK के कहुटा तहसील के अब्बासपुर गांव की निवासी है। इस मामले में सेना के PRO ने कहा कि दोनों बहनें गलती से भारतीय सरहद पर आ गई थी। जिन्हें आज कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद उन्हें ढेर सारे तोहफे देकर सुरक्षित घर के लिए रवाना किया गया है।

गलती से सरहद पहुंच जाते है आम नागरिक

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि, जब भारत-पाकिस्तान सरहद पर आम जनता गलती से एक-दूसरे की सीमा पर पहुंचे हो। ऐसा कई बार हो चुका है। जिस पर कई फिल्में भी बन चुकी है। ऐसा होने पर सामान्यतः दोनों देशों की सेना आपस में बात कर सहमति प्रकट करते हुए एक-दूसरे देशों के लोगों को वापस भेज देती है। बता दें कि कुछ समय पहले कि भारत ने 25 पाकिस्तानी मछुआरों को वापस उनके घर भेजा था।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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