Unique Temple: भारत देश में करोड़ों मंदिर है। हर मंदिर की अपनी अलग विशेषता और मान्यता है। कुछ मंदिर की मान्यताएं ऐसी भी है कि हर कोई सुनकर दंग रह जाता है। आज हम आपको इस लेख के द्वारा एक ऐसे इकलौते मंदिर की रोचक बातें बताने जा रहे हैं। इस मंदिर का महत्व सबसे ज्यादा नवरात्रि के समय रहता है। यहां पूजा के बाद कबूतरों को उड़ाया जाता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
कहा हैं ये अनोखा मंदिर
हम जिस अनोखे मंदिर की बात कर रहे हैं वह वैशाली के महुआ नगर के अंतर्गत गोविंदपुर सिंघाड़ा में स्थित है। यह 52 शक्तिपीठों में से एक है। यह माता सिद्धि का मंदिर है। इस मंदिर को गोविंदपुर सिंघाड़ा वाली मईया के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के दर्शन करने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। नवरात्रि के पावन अवसर पर मंदिर में लाखों की संख्या में भक्तजनों की भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर को लेकर ऐसा माना जाता है कि यहां जो भी भक्तजन अपनी समस्या और कष्टों को लेकर आता है, माता सिद्धि के दर्शन करने से उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
क्या है कबूतर उड़ाने की मान्यता
माता सिद्धि मंदिर को लेकर ऐसी मान्यताएं हैं कि यहां पूजा करने के बाद कबूतर उड़ाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। कबूतर को मंदिर परिसर में छोड़ा जाता है। पहले कबूतरों को माता की प्रतिमा के इर्द-गिर्द घूमने के लिए खुला छोड़ दिया जाता है। जब कबूतर घूमने के बाद मंदिर परिसर के चहारदिवारी पर बैठ जाता हैं, तब उसे छोड़ दिया जाता है। ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
क्यों पंचमी तिथि पर दो बकरों की चढ़ाई जाती है बली
गोविंदपुर सिंघाड़ा वाली मैया मंदिर में नवरात्रि के पावन अवसर पर सालों साल पुरानी प्रथा को दोहराया जाता है। यहां पंचमी तिथि के मौके पर दो बकरों की बली चढ़ाई जाती है। जिसके बाद मां भगवती का पट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोला जाता है। बलि चढ़ाने के साथ माता को 56 प्रकार का भोग लगाया जाता है। यह प्रथा 28 सौ साल से चली आ रही है। आपको बता दें, इस स्थान को खासतौर पर मनोकामना सिद्धि तथा बकरों की बली के लिए ज्यादा जाना जाता है।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)