Tue, Dec 23, 2025

आखिर क्यों भगवान जगन्नाथ को लगाया जाता है 56 भोग के बाद नीम का चूर्ण, क्या कहती हैं कथाएं, आइए जानें

Written by:Bhawna Choubey
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Hindu Belief: जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ को 56 भोग अर्पित करने की परंपरा अत्यंत प्रसिद्ध है। 56 व्यंजनों का यह भोग न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि धार्मिक महत्व भी रखता है। भगवान जगन्नाथ को 56 भोग अर्पित करने के बाद नीम का चूर्ण लगाने की परंपरा पुरी के जगन्नाथ मंदिर में सदियों से चली आ रही है। इसके पीछे कई धार्मिक कारण बताए जाते हैं।
आखिर क्यों भगवान जगन्नाथ को लगाया जाता है 56 भोग के बाद नीम का चूर्ण, क्या कहती हैं कथाएं, आइए जानें

Hindu Belief: हिंदू धर्म में भोग के बिना भगवान की पूजा अधूरी मानी जाती है। त्यौहार हो या फिर कोई भी धार्मिक कार्य सभी शुभ कार्यों में भोग लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। कुछ लोग मिठाई का भोग लगाते हैं, कुछ लोग पंचामृत का, तो वहीं कुछ लोग फल का भोग लगाते हैं, सभी अपनी इच्छा अनुसार भगवान को भोग अर्पित करते हैं। एक दो पकवानों का भोग लगाना बहुत आम बात है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान जगन्नाथ को एक नहीं दो नहीं बल्कि पूरा 56 भोग लगाया जाता है। आखिर ऐसा क्यों की हमेशा भगवान जगन्नाथ को 56 प्रकार का ही भोग लगाया जाता है ना एक कम ना एक ज्यादा? आज हम आपको इस लेख के द्वारा इन सभी सवालों का उत्तर विस्तार से देंगे। छप्पन भोग के बारे में तो आपने कभी ना कभी कहीं ना कहीं जरूर सुना होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान जगन्नाथ जी को 56 भोग के बाद नीम का चूर्ण भी चढ़ाया जाता है। जी हां, यह बात शायद ही आपने पहले कभी सुनी होगी लेकिन यह सच है, आज हम आपको इस लेख के द्वारा यह भी बताएंगे कि आखिर जगन्नाथ जी को छप्पन भोग के बाद नीम का चूर्ण क्यों चढ़ाया जाता है? इन सभी सवालों के पीछे कुछ ना कुछ पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई है जिनके बारे में आज हम आपको बताएंगे।

जगन्नाथ जी को हमेशा छप्पन भोग ही क्यों लगाया जाता है

जगन्नाथ जी को छप्पन भोग लगाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें से एक कथा यह है कि एक बार ब्रज में देवराज इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जा रही थी तब कान्हा ने पूछा कि “इंद्र को खुश करने के लिए पूजा क्यों की जा रही है पानी बरसाने का काम तो मेघों का होता है इसलिए इंद्र देव को प्रसन्न क्यों किया जा रहा है।” कान्हा ने कहा कि अगर आप सभी को पूजा करनी ही है तो आपको गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। कान्हा की बात सुनने के बाद सभी लोग इंद्रदेव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे यह सब देखकर इंद्रदेव बहुत नाराज हो गए और ब्रज में बारिश शुरू कर दी। बारिश इतनी तेज शुरू की की ब्रज पूरी तरह डूबने लगा, ऐसे में सभी लोग कन्हैया के पास पहुंचे तब कन्हैया ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया और सभी लोगों की रक्षा की। कन्हैया ने एक नहीं दो नहीं बल्कि पूरे 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर रखा, उन्होंने सातों दिन तक कुछ भी नहीं खाया। आठवें दिन इंद्र का अहंकार टूटा और बारिश रुक गई। तब सभी बृजवासियों ने कन्हैया के लिए 7 दिन और आठ पहर के हिसाब से 56 पकवानों का भोग बनाया। तब से ही भगवान जगन्नाथ जी को छप्पन भोग लगाने की परंपरा शुरू हुई। वहीं, छप्पन भोग को लेकर लोग अलग-अलग पौराणिक कथाएं भी मानते हैं।

छप्पन भोग के बाद जगन्नाथ जी को नीम का चूर्ण क्यों चढ़ाया जाता है

भगवान जगन्नाथ को छप्पन भोग के बाद नीम का चूर्ण क्यों चढ़ाया जाता है इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई है जिनमें से एक पौराणिक कथाएं यह है कि एक राजा रहता था जो जगन्नाथ पुरी मंदिर में श्री जगन्नाथ जी को हर दिन 56 भोग लगवाता था। उसे मंदिर के ठीक थोड़े ही पास एक औरत रहा करती थी। जो बिल्कुल अकेली थी उसका इस संसार में कोई भी नहीं था। वह औरत जगन्नाथ जी को ही अपना बेटा और अपना संसार मानती थी। जब वह हर दिन 56 भोग लगाते हुए जगन्नाथ जी को देखी थी, तब वह सोचती थी कि इतना सारा खाना खाने के बाद तो मेरे बेटे के पेट मैं दर्द होने लगेगा, इसलिए उसने जगन्नाथ जी के लिए नीम का चूर्ण तैयार किया, जब वह नीम का चूर्ण लेकर मंदिर के द्वारा पहुंची तो मंदिर के द्वारा के पास खड़े सैनिकों ने उसके हाथ से नाम का चूर्ण फेंक दिया और उसे मंदिर में घुसने से मना किया। औरत यह सब सोच सोच कर रोती रही की कहीं इतना सारा खाना खाने के बाद मेरे बेटे के पेट में दर्द न होने लगे। फिर उसी दिन राजा के सपने में भगवान जगन्नाथ जी ने दर्शन दिए और उन्होंने राजा से कहा कि आपका सैनिक मेरी मां को दवा देने से क्यों रोक रहे हैं, तब राजा तुरंत नींद से उठे और तुरंत औरत के घर जाकर उन्होंने औरत से माफी मांगी। तब औरत ने तुरंत नीम का नया चूर्ण बनाया, और भगवान जगन्नाथ जी को भोग लगाया तभी से 56 भोग के बाद नीम का चूर्ण चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है।

(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)