Amarnath Yatra 2024 : जानिए कितने महीने तक दिखते हैं बाबा बर्फानी? अमरनाथ यात्रा में क्या-क्या आती है कठिनाई? पढ़ें यह खबर

Amarnath Yatra 2024 : हर साल हज़ारों श्रद्धालु भगवान शिव के पवित्र स्थान 'अमरनाथ' की यात्रा करते हैं, जिससे उन्हें आध्यात्मिक शांति और अलौकिक अनुभव प्राप्त होता है।

Rishabh Namdev
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Amarnath Yatra 2024 : अमरनाथ यात्रा, हिंदू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थयात्राओं में से एक, वहीं इस वर्ष 29 जून, शनिवार से शुरू हो रही है। यह यात्रा आषाढ़ पूर्णिमा के दिन आरंभ होती है और लाखों श्रद्धालुओं को बाबा बर्फानी के दर्शन का सौभाग्य प्रदान करती है। बता दें कि हर साल हज़ारों श्रद्धालु भगवान शिव के इस पवित्र स्थान की यात्रा करते हैं, जिससे उन्हें आध्यात्मिक शांति और अलौकिक अनुभव प्राप्त होता है।

अमरनाथ यात्रा 2024 की तारीखें:

दरअसल इस वर्ष अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू होकर लगभग दो महीनों तक चलेगी। यह यात्रा आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होती है और श्रावण पूर्णिमा तक जारी रहती है। इस दौरान भक्तों को बाबा बर्फानी के दर्शन का अवसर मिलता है। इस अवधि में बाबा बर्फानी के दर्शन का अनूठा अनुभव प्राप्त होता है, जिसे श्रद्धालु अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पल मानते हैं।

बाबा बर्फानी के दर्शन का समय:

जानकारी के अनुसार बाबा बर्फानी के दर्शन का समय आषाढ़ पूर्णिमा से श्रावण पूर्णिमा तक रहता है। इस दौरान श्रद्धालु लगभग दो महीनों तक बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकते हैं। अमरनाथ गुफा, जो भगवान शिव के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, में भक्तों को शिवलिंग के प्राकृतिक रूप के दर्शन होते हैं। माना जाता है कि यह गुफा लगभग 150 साल पहले फिर से खोजी गई थी और तब से यह श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बना हुआ है।

यात्रा की चुनौतियाँ और प्रबंध:

वहीं अमरनाथ यात्रा की तैयारी में कई कठिनाइयाँ होती हैं, जैसे भयंकर ठंड और बर्फीले रास्ते, जिनका सामना करते हुए श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन करते हैं। हर साल, श्राइन बोर्ड द्वारा भक्तों के लिए विभिन्न तैयारियाँ की जाती हैं और सेवादारों द्वारा लंगर आयोजित किए जाते हैं। इस यात्रा के दौरान भक्तों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन बाबा बर्फानी के दर्शन की अद्वितीयता और पवित्रता इन सबको भुला देती है।

शिवलिंग का प्रकट होना:

जानकारी दे दें कि अमरनाथ गुफा में बर्फ की छोटी आकृति के रूप में शिवलिंग का प्रकट होना एक चमत्कारिक दृश्य है। प्रारंभ में यह आकृति धीरे-धीरे बढ़ती है और लगभग 15 दिनों में इसकी ऊँचाई 2 गज से अधिक हो जाती है। फिर चंद्रमा के आकार के घटने के साथ-साथ शिवलिंग भी घटने लगता है और चाँद के लुप्त होते ही शिवलिंग भी अदृश्य हो जाता है।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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