Hartalika Teej 2023: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपनीअपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए 24 घंटे निर्जला व्रत रखती हैं। लड़कियों को भी अच्छे वर की कामना के लिए यह व्रत रखते हुए देखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और पार्वती की पूजन का विशेष महत्व है। इस बार हरतालिका तीज का त्यौहार अपने साथ शुभ संयोग लेकर आ रहा है, जो अच्छे फल देने वाले हैं। यह योग स्त्रियों को अच्छे परिणाम देंगे। चलिए आपको शुभ योग और मुहूर्त के बारे में बताते हैं।
हरतलिका तीज पर शुभ योग
इस बार सुहागिन महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत रवि योग और इंद्र योग के शुभ संयोग में करने वाली हैं। सबसे खास बात यह है कि इस बार यह व्रत सोमवार के दिन आ रहा है, जो भगवान शिव का माना जाता है।
इंद्र योग 18 सितंबर के सुबह 4:28 से लगाकर 19 सितंबर की सुबह 4:24 बजे तक रहने वाला है। वहीं रवि योग की शुरुआत 18 सितंबर को 12:08 पर होगी जो 19 सितंबर को सुबह 6:08 बजे तक रहेगा।
पूजन के मुहूर्त
भाद्रपद मास की तृतीया तिथि की शुरुआत 17 सितंबर को सुबह 11:08 पर होने वाली है जो 18 सितंबर को 12:39 पर खत्म हो जाएगी। जो महिलाएं पूजा अर्चन करना चाहती हैं, वो सुबह 6:07 से 8:34 तक का समय चुन सकती हैं। जो लोग शाम के समय में पूजन करते हैं, वो 6:30 से लगाकर 6:47 तक पूजा कर सकते हैं।
हरतालिका तीज का त्योहार सभी अपने-अपने नियमों के मुताबिक करते हैं और कुछ महिलाएं चार प्रहर की पूजा करती हैं। इसके मुताबिक पूजा के शुभ मुहूर्त देख जाए तो पहले प्रहर की पूजा 6:30 से लगाकर 9:02 तक, दूसरे प्रहर की पूजा 9:02 से लगाकर 12:15 तक, तीसरे प्रहर की पूजा 12:15 से लगाकर 3:12 तक, वहीं चौथे प्रहर की पूजा 3:12 से लगाकर 19 सितंबर की सुबह 6:08 तक की जा सकती है।
हरतालिक व्रत की कथा
हरतालिका तीज के व्रत का विवाहित महिलाओं और कुंवारी कन्याओं में काफी ज्यादा महत्व है। इससे जुड़ी पौराणिक कथा के मुताबिक देवी पार्वती ने मन ही मन भोलेनाथ को अपना पति मान लिया था। लेकिन उनके पिता शिव जी से अपनी बेटी का ब्याह करवाने के लिए तैयार नहीं थे। ऐसे में पार्वती जी ने जंगल में भूखे प्यासे रहकर तपस्या की और भाद्रपद मास की तृतीया तिथि को शिवलिंग बनाकर उसका पूजन अर्चन किया। भोलेनाथ माता पार्वती की इस तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। ऐसा कहा जाता है कि जब देवी पार्वती जंगल में तपस्या करने के लिए आई थी तब उनकी सहेलियों ने उनका हरण कर उन्हें जंगल तक पहुंचाया था। यही कारण है कि इस व्रत को हरतालिका तीज के नाम से पहचाना जाता है।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)