Rare hybrid solar eclipse 2023 : 20 अप्रैल को साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। यह बृहस्पतिवार को सुबह 7.04 बजे से दोपहर 12.29 मिनट तक लगेगा,जिसकी कुल अवधि 05 घंटे 24 मिनट की होगी। यह दुर्लभ संकर सूर्यग्रहण होगा, जो आंशिक, वलयाकार और पूर्ण होगा। खास बात ये है कि इस बार दुर्लभ हाईब्रिड सूर्यग्रहण की घटना होने जा रही है।वही अगर पृथ्वी चपटी सपाट होती तो चंद्रमा की दूरी एक समान रहती और कोई एक ही प्रकार का ग्रहण होता।
हाईब्रिड सोलर इकलिप्स
इस बारे में नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने विद्याविज्ञान के अंतर्गत जानकारी देते हुये बताया कि पश्चिम ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणी गोलार्द्ध के समुद्री भागों में होने जा रहे इस ग्रहण को भारत में तो नहीं देखा जा सकेगा लेकिन सदी में औसतन सिर्फ 7 बार होने वाली इस घटना का साइंस समझने का यह अवसर है। अगर पृथ्वी गोलाकार न होकर सपाट चौकोर होती तो हाईब्रिड सोलर इकलिप्स की घटना पृथ्वी पर नहीं होती ।गणितीय रूप से ग्रहण के समय सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी को च्ंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी से भाग देने पर अगर 400 के लगभग आता है तो हाईब्रिड सोलर इकलिप्स होने की परिस्थितियां बनती हैं ।
वलयाकार सूर्यग्रहण
सारिका ने बताया कि हमारी पृथ्वी गोलाकार है इस कारण चंद्रमा की दूरी , लोकेशन बदलने पर बदलती रहती है । उन स्थानों पर जहां कि ग्रहण के दौरान चंद्रमा सिर के ठीक उपर (Zenith) होता है तो उसका अपेरेन्ट साईज (Apparent Size) बड़ा होता है इस कारण यह सूर्य को पूरी तरह से ढ़क लेता है और पूर्ण सूर्यग्रहण दिखने लगता है ।उन स्थानों में जहां कि चंद्रमा क्षितिज (Horizon) के पास होता है वहां चंद्रमा का अपेरेंट साईज थोड़ा छोटा दिखता है और यह सूर्य को पूरी तरह नहीं ढ़क पाता है जिससे सूर्य का किनारा चमकता रहता है और बीच में चंद्रमा के कारण काला अंधेरा दिखता है । यह वलयाकार सूर्यग्रहण (Annular Eclipse) के रूप में दिखता है ।
क्या है हाईब्रिड सोलर इकलिप्स
सारिका घारू ने बताया कि तीनों ग्रहण एक साथ दिखाई देने के कारण ही इसे हाईब्रिड सोलर इकलिप्स कहा जाता है।यह ग्रहण वैसे भारत में नहीं दिखेगा लेकिन इसे पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के अलावा दक्षिणी गोलार्द्ध में देखा जा सकता है। जब पृथ्वी की परिक्रमा करता चंद्रमा , सूर्य और पृथ्वी के बीच और एक रेखा में आ जाता है तो सूर्यग्रहण होता है । इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी के नजदीक होता है तो सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है और उस भाग में पूर्ण सूर्यग्रहण दिखता है। यदि चंद्रमा दूर रहता है तो सूर्य एक कंगन के रूप में चमकता दिखता है , इसे वलयाकार सूर्यग्रहण कहते हैं। अगर चंद्रमा न तो ज्यादा दूर हो और न ही बहुत पास तो हाईब्रिड सोलर इकलिप्स की स्थिति बनती है ।