Kaahal Rajyog, Astrology, Hans Rajyog : ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रहों के राशि परिवर्तन का अपना एक महत्व है। वही निश्चित अवधि पर ग्रह अपने गोचर करते हैं। मानव जीवन और पृथ्वी पर ग्रहों के गोचर का सीधा प्रभाव देखने को मिलता है। ग्रहों के राजा सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। इसके साथ ही वह प्रमुख राजयोग का निर्माण करेंगे।
सूर्य का राशि परिवर्तन
वर्तमान में सूर्य मिथुन राशि में बैठे हैं। 15 जून को सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश कर चुके हैं जबकि 17 जुलाई को एक बार फिर से राशि परिवर्तन के साथ ही सूर्य कर्क राशि में संचरण करेंगे। इसका असर कई राशियों पर पड़ेगा।
बुधादित्य, परिजात सहित महा केदार योग का लाभ कई जातकों को मिलेगा। वहीं जुलाई में कर्क राशि में सूर्य के परिवर्तन के साथ ही मेष और तुला राशि को भाग्य उदय, व्यापार में वृद्धि सहित प्रमोशन इंक्रीमेंट के आसार बन रहे हैं।
इन राशियों को मिलेगा लाभ
मेष
मेष राशि के लिए सूर्य का गोचर बेहद शुभ माना जा रहा है। यह गोचर राशि के चतुर्थ भाव में होने जा रहा है। जिसके साथ ही वाहन और प्रॉपर्टी का लाभ मिलेगा इसके साथ ही भौतिक सुख सुविधाओं में वृद्धि होगी। लग्जरियस आइटम खरीद सकते हैं। इतना ही नहीं सूर्य आप को प्रगति देने के साथ ही कई महत्वपूर्ण विचार और फैसले लेने पर भी मजबूर करेंगे। सूर्य देव की दृष्टि आपके दशम भाव पर पड़ रही है। ऐसे में कारोबार में लाभ मिलेगा। साथ ही माता के साथ आपके संबंध में सुधार आएगा।
कन्या
कन्या राशि के लोगों के लिए सूर्य का गोचर बेहद शुभ माना जा रहा है। यह गोचर कन्या राशि के इनकम भाव में हो रहा है। आय के नवीन साधन मिलने के साथ ही सामाजिक रूप से लोकप्रियता बढ़ेगी। तरक्की प्रगति सहित पुरानी निवेश से लाभ मिलेगा। अच्छे रिटर्न की प्राप्ति होगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। इसके साथ ही विदेश यात्रा के भी योग बन रहे हैं।
तुला
तुला राशि के लिए सूर्य का गोचर बेहद शुभ माना जा रहा है। गोचर आपकी राशि के नौकरी और व्यापार क्षेत्र में हो रहा है। ऐसे में नई नौकरी की तलाश कर रहे जातकों के लिए अच्छा समय कहा जा सकता है। प्रमोशन मिलने के आसार हैं तबादले हो सकते हैं। व्यापार में वृद्धि होगी। इसके साथ ही कार्यस्थल पर आपके कार्य को प्रशंसा मिलेगी। सराहना मिलने के साथ ही सामाजिक मान प्रतिष्ठा में वृद्धि देखने को मिल सकती है। नए लोगों के संपर्क में आएंगे। साथ ही तरक्की के योग बन रहे हैं।
काहल राजयोग
- कहल योग का निर्माण जातकों को अशुभ और शुभ दोनों परिणाम देता है। कुंडली के तीसरे घर के स्वामी और दसवीं घर के स्वामी एक दूसरे के पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव में स्थित हो, तब कुंडली में काहल योग का निर्माण होता है।
- कुंडली के पहले भाव के स्वामी के प्रबल होने पर भी इस योग का निर्माण होता है। इसके साथ ही जातक के जीवन में आत्मरक्षा सुरक्षा सहित अन्य तरह के प्रभाव शामिल रहते हैं। वह सफलता प्राप्त करता है। साथ ही जीवन में हर दिन नई ऊंचाई को छूते हैं।
- वही ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के तीसरे घर के स्वामी यदि बृहस्पति से केंद्र में स्थित हों और बृहस्पति की नजरों के सामने हो तो इस योग का निर्माण होता है।
- लग्न कुंडली के गुरु और चतुर्थेश एक दूसरे के केंद्र स्थान पर हो या लग्नेश उच्च में हो तो कुंडली में इस योग का निर्माण होता है।
- वही जन्म कुंडली में चतुर्थेश अपनी उच्च राशि में हो या अपनी खुद की राशि में स्थित होकर दशमेश के साथ ही युति करते हैं या दशमेश की दृष्टि उस पर पड़ती है। तब इस योग का निर्माण होता है।
काहल योग का लाभ
- इस युग के निर्माण से जातक ओजस्वी होते हैं।
- साहसी होने के साथ ही चालाक, साधारण कार्य से अधिपति बनने की सामर्थ्य रखते हैं।
- इसके साथ ही इनके अंदर क्षमता विकसित होती है।
- जातक श्रेष्ठ उच्च ज्ञान वाले होते हैं
- साथ ही भौतिक सुख सुविधा का अनुभव करते हैं।
- अध्यात्म की तरफ झुकाव होता है दूसरों के कल्याण करने के साथ ही सदा प्रसन्न रहने वाले होते हैं।
- जीवन में समृद्धि प्राप्त करते हैं साथ ही लोगों के बीच प्रिय माने जाते हैं।
- इस योग से पद प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है
- मान-सम्मान की प्राप्ति के साथ ही नई नौकरी सहित विदेश भ्रमण के योग होते हैं।