Ningaloo Eclipse 2023 : गुरूवार 20 अप्रैल को साल 2023 का पहला संकर सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है।भारतीय समय के अनुसार सुबह सबेरे 7 बजकर 4 मिनिट से दुर्लभ हाईब्रिड सोलर इकलिप्स होने जा रहा है । जिसकी कुल अवधि 05 घंटे 24 मिनट की होगी। यह कंकणाकृति सूर्य ग्रहण होगा। यह उपच्छाया सूर्य ग्रहण है, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं है।भले ही यह भारत में नहीं दिखेगा लेकिन पश्चिम ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणी गोलार्द्ध के समुद्री भागों में होने जा रहे इस ग्रहण को ऑनलाईन देखा जा सकेगा । ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी समुद्री तट निंगालू के नाम पर इस ग्रहण का नामकरण निंगालु ग्रहण भी किया गया है।
इस ग्रहण की वैज्ञानिक जानकारी देने नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि हाईब्रिड सोलर इकलिप्स एक दुर्लभ प्रकार का सूर्यग्रहण है जिसमें पूर्ण और वलयाकार ग्रहण की घटनायें दोनो होती हैं । ग्रहण के मार्ग में यह या तो पूर्ण दिखता है जो आगे के स्थान पर वलयाकार दिखने लगता है अथवा पहले वह वलयाकार दिखेगा जो आगे के स्थान पर पूर्ण दिखने लगता है । यह घटना तब होती है जब चंद्रमा का दिखने वाला आकार और पृथ्वी से दिखने वाला सूर्य का आकार समानता के लगभग हों । कल होने जा रहे ग्रहण में ये लगभग बराबर होंगे ।सूर्यग्रहण का आरंभ पृथ्वी के किसी एक भाग से आरंभ होकर उसका समापन दूसरे भाग पर होगा ।
जानिए क्या होता है निंगालू ग्रहण
निंगालू ग्रहण एक “हाइब्रिड” सूर्य ग्रहण है। यह खगोलीय घटना, साल के पहले सूर्य ग्रहण के रूप में हिन्दू महीने के वैशाख अमावस्या के दिन को चिन्हित करेगी। हाइब्रिड’ सूर्य ग्रहण एक अलग प्रकार का सूर्य ग्रहण है, जो सामान्य सूर्य ग्रहण से अलग है, इसके नाम की उत्पत्ति ‘निंगालू’ ऑस्ट्रेलियाई तटरेखा निंगालू के नाम से प्रेरित है, इसकी आंशिक दृश्यता के कारण इसे यह नाम दिया गया है। ‘हाइब्रिड’ सूर्य ग्रहण के दौरान, पृथ्वी का कर्वेचर, ग्रहण के मार्ग का कुछ भाग, चंद्रमा के ‘अम्ब्रा’ (छाया-Umbra) तक लाता है जिससे पूर्ण सूर्य ग्रहण की स्थित बनती है, जबकि अन्य हिस्से के, अम्ब्रा के पहुँच के बाहर होने से वलयाकार (Annular) सूर्यग्रहण की स्थिति बनती है, जिस कारण इस प्रकार के सूर्य ग्रहण को ‘हाइब्रिड’ सूर्य ग्रहण कहते है।
दुर्लभ हाईब्रिड सूर्यग्रहण
यह दुर्लभ संकर सूर्यग्रहण होगा, जो आंशिक, वलयाकार और पूर्ण होगा। खास बात ये है कि इस बार दुर्लभ हाईब्रिड सूर्यग्रहण की घटना होने जा रही है। अगर चंद्रमा न तो ज्यादा दूर हो और न ही बहुत पास तो हाईब्रिड सोलर इकलिप्स की स्थिति बनती है । गणितीय रूप से ग्रहण के समय सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी को च्ंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी से भाग देने पर अगर 400 के लगभग आता है तो हाईब्रिड सोलर इकलिप्स होने की परिस्थितियां बनती हैं ।दुर्लभ हाईब्रिड सोलर इकलिप्स इस सदी के दौरान होने वाले 224 सूर्यग्रहण में से सिर्फ 7 बार ही होगा अर्थात इसकी भागीदारी सिर्फ 3.1 प्रतिशत ही होगी ।
क्या होता है सूर्य ग्रहण
जब पृथ्वी की परिक्रमा करता चंद्रमा , सूर्य और पृथ्वी के बीच और एक रेखा में आ जाता है तो सूर्यग्रहण होता है ।इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी के नजदीक होता है तो सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है और उस भाग में पूर्ण सूर्यग्रहण दिखता है। यदि चंद्रमा दूर रहता है तो सूर्य एक कंगन के रूप में चमकता दिखता है , इसे वलयाकार सूर्यग्रहण कहते हैं।
कहां कहां दिखाई देगा
खास बात ये है कि 20 अप्रैल को पड़ने वाले सूर्य ग्रहण मेष राशि और अश्वनी नक्षत्र में लगेगा यह सूर्य ग्रहण कंबोडिया, चीन,समोआ, सोलोमन, बरूनी, सिंगापुर, थाईलैंड, अंटार्कटिका, अमेरिका, माइक्रोनेशिया, मलेशिया, फिजी, जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, वियतनाम, ताइवान, पापुआ न्यू गिनी, इंडोनेशिया, फिलीपींस, दक्षिण हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत महासागर जैसी जगहों पर दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण के समय सूर्य मेष राशि में विराजमान रहेंगें, मेष राशि के स्वामी मंगल ग्रह है जिन्हें ग्रहों का सेनापति माना जाता है। माना जा रहा है कि इस बार का सूर्य ग्रहण बेहद खास रहने वाला है क्योंकि ये सूर्य ग्रहण हाइब्रिड होगा।
ग्रहण की अवधि भारतीय समय के अनुसार
- आंशिक ग्रहण आरंभ 07:04:26
- पूर्णग्रहण आरंभ 08:07:08
- अधिकतम ग्रहण 09:46:53
- पूर्णग्रहण समाप्त 11:26:43
- आंशिक ग्रहण समाप्त 12:29:22