Nirjala Ekadashi : बुधवार को निर्जला एकादशी, घर लाएं ये 5 शुभ चीजें, लक्ष्मी की कृपा के साथ बनी रहेगी बरकत, इन कामों को करने से बचें

Pooja Khodani
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Nirjala Ekadashi : हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का विशेष महत्व है, क्योंकि निर्जला एकादशी को सभी एकादशी में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। आज मंगलवार को गंगा दशहरा है और बुधवार 31 मई को निर्जला एकादशी और गायत्री जयंती पर्व मनाया जाएगा। निर्जला एकादशी में पानी की एक बूंद भी ग्रहण नहीं की जाती है। इस दिन व्रत रखने वाले को सभी तीर्थों के दर्शन का पुण्य और चौदह एकादशियों के व्रत का पुण्य और फल प्राप्त होता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं, लेकिन ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को सर्वश्रेष्ठ एकादशी माना जाता है, क्योंकि इस दिन घड़े और पंखों के दान का विशेष महत्व है, इसलिए इसे घड़े पंखों की एकादशी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सालभर की सभी एकादशियों का पुण्यफल का लाभ देने वाली इस श्रेष्ठ निर्जला एकादशी को पांडवों में भीम ने भी यही व्रत किया। इस कारण इसे पांडव या भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं।

घर लाए ये चीजें,होती है बहुत शुभ

  1. निर्जला एकादशी के दिन घर में कामधेनु गाय की प्रतिमा लाना शुभ माना गया है, क्योंकि इसे सुख-समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है।निर्जला एकादशी के दिन कामधेनु गाय लाकर घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में जरूर रखें। ऐसा करने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलने के साथ-साथ हर कार्य सिद्ध हो सकते हैं।
  2. इस दिन तुलसी का पौधा लगाने या लाने से भी लाभ मिलता है, क्योंकि इसमें मां लक्ष्मी का वास माना गया है।
  3. शास्त्रों में मोर पंख कृष्ण जी का प्रिय माना गया है और श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, ऐसे में निर्जला एकादशी के दिन घर में मोर पंख लाने से बरकत बनी रहती है।
  4. निर्जला एकादशी के दिन 7 सफेद रंग की कौड़ी लाना शुभ माना जाता है। इसके बाद शुभ मुहूर्त में इन्हें हल्दी से पीला कर लें और एक लाल या फिर पीले रंग के कपड़े में बांध दें। इसके बाद मां लक्ष्मी को अर्पित करने के साथ विधिवत पूजा कर लें। इसके बाद द्वादशी तिथि को इसे तिजोरी, अलमारी या फिर धन वाले स्थान में रख लें।
  5. निर्जला एकादशी के दिन मोर पंख लाना भी शुभ माना जाता है, क्योंकि मोर पंख भगवान कृष्ण को अति प्रिय है और वह विष्णु जी का अवतार है। घर में मोर पंख रखने से नकारात्मक ऊर्जा से निजात मिल जाती है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  6. शास्त्रों में शंख को मां लक्ष्मी का भाई माना जाता है, क्योंकि शंख भी समुद्र मंथन के दौरान शंख भी निकला था। ऐसे में घर में शंख रखने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और मां लक्ष्मी की असीम कृपा बनी रहती है।इस दिन मोती शंख जरूर लाएं और इसे पूजा घर में रखें। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ सकती है।

निर्जला एकादशी पर बन रहा स्वार्थ सिद्धि योग

पंचाग के अनुसार, इस बार निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त 30 मई मंगलवार को दोपहर 1 बज कर 9 मिनट से आरंभ होगा,इसका समापन 31 मई को दोपहर 1 बज कर 47 मिनट पर होगा। इसलिए उदया तिथि के नियमों के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई को रखा जाएगा। निर्जला एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद किया जाता है, ऐसे में व्रत का पारण 1 जून, गुरुवार की सुबह 05 बजकर 24 मिनट से सुबह 08 बजकर 10 मिनट के बीच किया जाएगा।  खास बात ये है कि इस दिन स्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण होगा, जो कई राशियों के लिए शुभ होगा।

ऐसे करें पूजा

निर्जला एकादशी की पूजा तिल, गंगाजल, तुलसी पत्र, श्रीफल बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इस दिन श्रीहरि विष्णु की पूजा के साथ मां लक्ष्मी और तुलसी की उपासना भी जरुर करें। मान्यता है तुलसी पूजा के बिना एकादशी का व्रत-पूजन अधूरा रहता है। इस दिन विष्णु जी का जल में तिल मिलाकर ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप हुए विष्णु जी का अभिषेक करें। इसके अलावा समस्त पूजन सामग्री लक्ष्मी-नारायण को अर्पित कर मिठाई में तुलसी दल डालकर विष्णु जी को चढ़ाएं और दान-पुण्य करें। इसके बाद शाम को तुलसी में घी का दीपक लगाकर उसमें काला या सफेद तिल डालें।इससे लाभ मिलेगा और बरकत आएगी।

निर्जला एकादशी पर ना करें ये काम

  1. निर्जला एकादशी के दिन चावल नहीं बनाने चाहिए।
  2. एकादशी तिथि के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ें। यदि पत्ते बेहद आवश्यक हैं तो आप एक दिन पहले ही पत्तों को तोड़ कर रख सकते हैं।
  3. इस दिन घर में प्याज, लहसुन, मांस और मदिरा का सेवन न करें।
  4. किसी से लड़ाई-झगड़ा न करें, किसी का बुरा न सोचें, किसी का अहित न करें और न ही क्रोध करें।

(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है, MP BREAKING NEWS किसी भी तरह की मान्यता-जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें)


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