Shash Rajyog, Pushkal Rajyog, trilochan yog, Astrology : ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की एक अवधि के बाद राशि परिवर्तन से सकारात्मक और नकारात्मक योग का निर्माण होता है। शनि देव कुंभ राशि में वक्री हुए हैं। शनि के वक्री होने के साथ ही शनि कई राजयोग का निर्माण करेंगे। 17 जून को रात 10:56 पर शनि अपनी खुद की राशि कुंभ में वक्री अवस्था में गोचर कर रहे हैं। तीन राशियों पर इसका प्रभाव पड़ेगा।
शश राजयोग का निर्माण
शनि के वक्री अवस्था में गोचर होने के साथ ही शनि शश राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। शश राजयोग से 3 राशियों को धन लाभ होने के साथ ही उनकी प्रतिष्ठा मान सम्मान में वृद्धि होगी।
शश राजयोग का लाभ
कुंभ
कुंभ राशि के जातक को राजयोग का लाभ मिलेगा। उनके संबंध अच्छे लोगों से होंगे। नेतृत्व क्षमता विकास आएगा। रुके हुए कार्य पूरे होंगे। इसके साथ ही प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। रुके वेतन की वापसी होगी। मान-सम्मान में वृद्घि होगी। कार्य स्थल पर आपके कार्य की सराहना की जाएगी। इसके साथ ही आपको विदेश यात्रा के योग भी देंगे। व्यक्तित्व का विकास होगा।
सिंह
कर्मफल दाता शनि के कुंभ राशि में वक्री अवस्था में गोचर करने का लाभ सिंह राशि को मिलेगा। आकस्मिक धन लाभ के संकेत मिले। परिवार और रिश्तेदार का सहयोग प्राप्त होगा। अच्छे संबंध निर्मित होंगे प्रेम प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। इतना ही नहीं गौरव की प्राप्ति होगी। सम्मान की प्राप्ति हो सकती है। किसी दूरस्थ यात्रा पर निकल सकते हैं। विवाह के योग्य साथी की तलाश कर रहे हैं तो यह इच्छा पूरी हो सकती है।
वृश्चिक
वृश्चिक राशि वाले को शनि के वक्री अवस्था का लाभ मिलेगा। शश राजयोग का निर्माण इनके आर्थिक क्षेत्र में प्रगति लेकर आएगा। नौकरी में अच्छे अवसर प्राप्त होंगे। संभावनाएं अधिक रहेगी। जमीन वाहन की खरीदारी कर सकते हैं। बौद्धिक संपदा में वृद्धि होगी। इसके साथ ही आकस्मिक धन लाभ हो सकता है। निवेश से अच्छे रिटर्न प्राप्त होंगे। सम्मान, पद प्रतिष्ठा, पदोन्नति और इंक्रीमेंट के आसार हैं।
त्रिलोचन योग
सूर्य चंद्रमा और मंगल एक दूसरे के त्रिकुट में होते हैं, तब जन्म कुंडली में त्रिलोचन योग का निर्माण होता है। वही त्रिक भाव में पहले, पांचवी और नौवें भाव में इसकी उपस्थिति से ग्रह प्राकृतिक शक्तियां प्राप्त करती है।
त्रिलोचन योग का प्रभाव
सूर्य पिता, ऊर्जा, शत्रुता, सरकारी कार्य और सम्मान को प्रकट करता है जबकि चंद्रमा माता, सफेद वस्तु, आयात व्यापार, दूध, सरोवर और तालाब को प्रकट करते है। मंगल भाई-बहन, सशस्त्र बल और पुलिस, शक्ति को प्रदर्शित करते हैं। ऐसे में इन तीन ग्रहों के अशुभ स्थिति होने पर व्यक्ति को अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। प्रभावशाली चंद्रमा, सूर्य और मंगल के एक दूसरे के तिहाई में स्थित होने पर त्रिलोचन योग का लाभ जातकों को मिलता है।
त्रिलोचन योग का लाभ
व्यक्ति भाग्यशाली होते हैं। माता-पिता का सहयोग प्राप्त होते, आध्यात्मिक होते हैं। सहज स्वभाव के होते हैं। जिंदादिल उत्साहित होते हैं। अपने कर्तव्य को पूरी तरह से पूरा करते हैं। इस योग में जन्मे जातक चालक विद्वान, राजकीय व्यक्तित्व वाले होते हैं। धनवान और संपन्नता के पूरक होते हैं। इसके साथ ही शत्रुओं पर विजय हासिल करते हैं। इतना ही नहीं विदेश यात्रा का योग मिलता है।
पुष्कल राजयोग
ज्योतिष में पुष्कल योग की परिभाषा के अनुसार कुंडली में लग्नेश की युति से स्थित चंद्रमा का भाव का स्वामी है तो केंद्र भाव में हो या फिर बलवान हो, ऐसे में पुष्कल योग का निर्माण होता है।
कुंडली में लग्नेश की युति में स्थित चंद्रमा के भाव का स्वाम, केंद्र भाव पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव में हो अथवा बलवान हो तो वह पहले भाव पर दृष्टि डालता है और पहले भाव में एक या एक से अधिक शुभ ग्रह होने पर पुष्ष्क्ल योग का लाभ मिलता है।
कुंडली में चंद्रमा और पहले भाव के स्वामी को शुभ होना चाहिए। साथ ही उनके स्थान का स्वामी भी महत्वपूर्ण ढंग में लाभकारी होना चाहिए।
वही कर्क लग्न की कुंडली में इस योग का निर्माण नहीं होता है क्योंकि ऐसे में चंद्रमा लग्न के स्वामी होते हैं।
पुष्कल योग का लाभ
ऐसे योग से व्यवसाय में लाभ होता है। उच्च अधिकारी बनते हैं। धन संपत्ति की प्राप्ति होती है। सफलता मान सम्मान वृद्धि होती है। प्रतिष्ठित और सामाजिक लोगों के संपर्क में आते हैं। प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं। इसके साथ ही उन्हें ईश्वरीय शक्ति का लाभ मिलता है। मधुर वाणी से यह लोग उच्च स्थान तक पहुंचते हैं। इन्हें व्यापार में अच्छे परिणाम हासिल होते हैं।