Viprit Rajyog/Budh Gochar : वैदिक ज्योतिष के मुताबिक, हर एक ग्रह एक निश्चित समय अंतराल के बाद एक से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, जिसका मानव जीवन से लेकर पृथ्वी पर विशेष प्रभाव पड़ता है। इसी क्रम में ग्रहों के राजकुमार बुध ने 20 फरवरी को शनि की राशि कुंभ में गोचर किया है, इससे विपरित राजयोग का निर्माण हुआ है। बुध मिथुन और कन्या राशि के स्वामी हैं, इन्हें नौकरी, कारोबार, बुद्धि, शिक्षा और ऐश्वर्या का कारक माना जाता है, ऐसे में बुध के चाल बदलने से बना विपरित राजयोग 3 राशियों को विशेष फल प्रदान करने वाला साबित होगा।
कब बनता है विपरित राजयोग
- वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी जातक की कुंडली में छठे भाव का स्वामी अष्टम या द्वादश भाव में विराजमान होता है, जब अष्टम भाव का स्वामी द्वादश या षष्ठम भाव में होता है, या फिर जब द्वादशेश षष्ठम या अष्टम भाव में होता है तो विपरीत राजयोग बनता है। जब कुंडली के छठे, आठवें, बारहवें, भाव के स्वामी युति संबंध बनाते हैं, तो विपरीत राजयोग का निर्माण होता है। इस योग में त्रिक भावों और उनके स्वामियों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
- वैसे त्रिक भावों को ज्योतिष शास्त्र में शुभ नहीं माना जाता लेकिन कुछ विशेष परिस्थियों के कारण यह शुभ फल देने लगते हैं, वहीं मुख्यत: त्रिक भावों में से किसी भाव का स्वामी (जैसे षष्ठम भाव का द्वादश में) किसी अन्य त्रिक भाव में विराजमान हो तो इस योग का निर्माण होता है। विपरीत राजयोग का निर्माण होने से व्यक्ति को धन लाभ के साथ वाहन, संपत्ति का सुख प्राप्त होता है।
राजयोग का राशियों पर कैसा रहेगा असर
कर्क राशि : बुध के गोचर से बना विपरित राजयोग जातकों के लिए अनुकूल सिद्ध हो सकता है। भाग्य का साथ मिलेगा। यात्रा पर जा सकते है। शेयर बाजार, सट्टा और लॉटरी में अच्छा धनलाभ हो सकता है। नौकरी पेशा में नए अवसर मिल सकते है। आय में वृद्धि होगी और आमदनी के नए नए स्त्रोत मिलने की उम्मीद भी है। छात्रों के लिए समय उत्तम रहेगा, परीक्षा में सफलता प्राप्त करेंगे। कार्यों में सिद्धि के साथ मनोकामना पूरी होगी।