Vastu Tips: हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व है, न सिर्फ घर के निर्माण में बल्कि घर में किस वस्तु को किस दिशा में रखना चाहिए तक का वर्णन विस्तार से वास्तु शास्त्र में किया गया है। कई बार जाने अनजाने में की गई कुछ गलतियों की वजह से वास्तु दोष लग जाता है जिस वजह से व्यक्तियों को अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
बहुत लोगों को यह गलतफहमी रहती है, कि वास्तु शास्त्र का महत्व सिर्फ घर या किसी भी इमारत के निर्माण के दौरान ही रहता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, घर के हर एक कोने से लेकर रंग, वस्तु, पौधों आदि सब चीजों में वास्तु शास्त्र के कई नियम बताए गए हैं।
घर में ऐसा होना चाहिए रसोईघर
वास्तु शास्त्र के अनुसार, अगर रसोई घर की बात की जाए तो रसोई घर को घर की समृद्धि, सुख शांति का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इसका निर्माण सही दिशा में करना बहुत जरूरी होता है। रसोई को दक्षिण पूर्व दिशा में बनाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है क्योंकि यह स्थान आग के तत्व से जुड़ा होता है और यहां रसोई बनाने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। रसोई घर के दरवाजे के सामने जल और अग्नि तत्व की कोई भी व्यवस्था नहीं होनी चाहिए जैसे की पानी का नल या गैस का चूल्हा।
मुख द्वारा पर बनाएं स्वास्तिक
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुख्य द्वार का विशेष महत्व बताया गया है घर का मुख्य द्वार सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होता है क्योंकि यहीं से सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है। इतना ही नहीं मां लक्ष्मी भी इसी द्वारा से प्रवेश करती है, इसलिए अगर मुख्य द्वार का विषय ध्यान रखा जाए, तो घर में कभी भी आर्थिक समस्या नहीं होती है।
घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर से स्वास्तिक बनाना बहुत शुभ माना जाता है। स्वास्तिक को 9 अंगुल लंबा और नौ अंगुल चौड़ा बनाना चाहिए, क्योंकि यह आकार सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने में मदद करता है और घर में समृद्धि और सुख शांति लाता है।
तुलसी के पौधे का उपाय
सनातन धर्म में पेड़ पौधों का विशेष महत्व खासकर तुलसी के पौधे को बहुत महत्व दिया जाता है। माना जाता है कि तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास होता है और यह भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।
हर घर में एक न एक तुलसी का पौधा अवश्य होना चाहिए। यदि तुलसी का पौधा घर के आंगन में उत्तर या पूर्व दिशा में लगाया जाए तो यह विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। रोजाना सुबह नहाने के बाद तुलसी में एक लोटा जल चढ़ाना चाहिए इसके बाद शाम और सुबह को घी का दीपक भी जलाना चाहिए।