सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम को बंद करने का फैसला 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में लिया जा सकता है। इस बजट में इस स्कीम के लिए नए आवंटन की संभावना कम है, जिसके चलते अब सरकार इसे बंद करने का बड़ा फैसला ले सकती है। इसके अलावा, सोने की बढ़ती कीमतें भी इसका एक बड़ा कारण मानी जा रही हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार को सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर 2.5% ब्याज का नुकसान हो रहा है, जिसके चलते इस स्कीम को बंद करने का निर्णय लिया जा सकता है। पिछले तीन-चार सालों में सोने के दामों में बड़ी तेजी आई है। ऐसे में इस स्कीम का निवेश दोगुना हो गया है। निवेशकों को इसका लाभ मिल रहा है, लेकिन सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है, जिसके चलते इसे बंद किया जा सकता है।
सरकार को झेलना पड़ा है नुकसान
दरअसल, सरकार द्वारा सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम को निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। नवंबर 2015 में इस स्कीम की शुरुआत की गई थी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इसे फिजिकल गोल्ड का अल्टरनेटिव देने के लिए पेश किया था। इसका उद्देश्य सोने की मांग को कम करना था। हालांकि, बीते कुछ सालों में सोने के दाम तेजी से बढ़े हैं। निवेशकों को सोने के दाम बढ़ने का बड़ा फायदा हुआ है, लेकिन सरकार को इस स्कीम के चलते आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है।
मात्र 8 सालों में करीब 170% का रिटर्न मिला
दरअसल, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में ग्राहकों को शुद्ध सोना मिलता है, जिसमें 99.9% शुद्धता होती है। यह 24 कैरेट शुद्ध सोने की इकाइयों के रूप में डीमैट रूप में सुरक्षित रखा जाता है। इस पर कोई अतिरिक्त खर्च नहीं होता और सरकार द्वारा इस पर सालाना 2.5% का ब्याज दिया जाता है। साथ ही, सोने की कीमतों में बढ़ोतरी का लाभ भी मिलता है। आंकड़ों के अनुसार, 2015-16 से अब तक मात्र 8 सालों में करीब 170% का रिटर्न मिला है। इसके अलावा, सालाना 2.5% ब्याज भी दिया गया है।