Rudraksha Niyam: सनातन धर्म में रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। इसकी पवित्रता और शक्तियों के कारण लोग इसे धारण करते हैं। रुद्राक्ष धारण करने से कई लाभ मिलते हैं, जिनमें ग्रहों की बाधा दूर होना, नकारात्मक ऊर्जा से बचाव, और मनोकामनाओं की पूर्ति शामिल है। लेकिन रुद्राक्ष की शक्तियों का लाभ उठाने के लिए, कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।
किस दिन करना चाहिए रुद्राक्ष धारण
1. अमावस्या: अमावस्या तिथि को नया चंद्रमा प्रकट होता है, जो नवीन शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन रुद्राक्ष धारण करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मकता का संचार होता है।
2. पूर्णिमा: पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा पूर्ण रूप से प्रकाशित होता है, जो समृद्धि और पूर्णता का प्रतीक है। इस दिन रुद्राक्ष धारण करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सफलता मिलती है।
3. सावन महीने का सोमवार: सावन महीना भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है। इस महीने के सोमवार को रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
4. महाशिवरात्रि: महाशिवरात्रि भगवान शिव का सबसे पवित्र त्योहार है। इस दिन रुद्राक्ष धारण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
रुद्राक्ष धारण विधि
रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसे शुद्ध करना आवश्यक है। इसके लिए, आप इसे पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल) के मिश्रण में 24 घंटे के लिए भिगो दें। फिर, इसे गंगाजल से धोकर स्वच्छ व सूखे कपड़े से पोंछ लें। रुद्राक्ष को शुद्ध करने के बाद, उस पर तिलक लगाएं और धूप दिखाएं। इसके बाद, “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें। आप रुद्राक्ष को किसी धागे में या फिर सोने या चांदी की चैन में डाल सकते हैं। इसे गले में ही धारण करना सबसे उत्तम माना जाता है। रुद्राक्ष धारण करते समय मन में शुद्ध भावनाएं रखें। रुद्राक्ष को हमेशा स्वच्छ रखें और अशुद्धता से बचाएं। मांस-मदिरा का सेवन तथा हिंसा से दूर रहें। नियमित रूप से “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते रहें।
रखें इन बातों का ध्यान
रात को सोने से पहले रुद्राक्ष हमेशा उतार देना चाहिए। सोते समय रुद्राक्ष पहनने से यह टूट सकता है या अशुद्ध हो सकता है। श्मशान घाट या किसी मृत्यु वाली जगह पर कभी भी रुद्राक्ष धारण करके नहीं जाना चाहिए। ऐसे स्थानों पर जाने से पहले रुद्राक्ष को उतारकर सुरक्षित स्थान पर रखें। रुद्राक्ष को हमेशा स्वच्छ रखें और अशुद्धता से बचाएं। नियमित रूप से “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते रहें। क्रोध, हिंसा, और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)