रत्न धारण करने से पहले जान लें ये जरुरी बातें, नहीं तो बन जाएगा जी का जंजाल

Manisha Kumari Pandey
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धर्म, डेस्क रिपोर्ट।  ज्ज्योतिष में कमजोर ग्रहों को मजबूत करने के लिए अक्सर रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है, ताकि जो ग्रह आपके शुभ कामों में रुकावट बन रहे हों या फिर बाधा डाल रहे वह आपके पक्ष में आ जाएं। ज्योतिषि अलग-अलग ग्रहों की मजबूती के लिए अलग-अलग रत्न पहनने को कहते हैं।  अगर आप भी अपने कमजोर ग्रह की शांति के लिए रत्न धारण करने का सोच रहे हैं,तो पहले जान लें कौन सा रत्न क्या प्रभाव डालता है।

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9 प्रकार के होते हैं रत्न

रत्नों को ग्रहों के आधार पर 9 भाग में बांटा गया है। हर एक कमजोर ग्रह को मजबूत बनाने के लिए ज्योतिष में एक रत्न निर्धारित है।
1. माणिक- सूर्य ग्रह के कमजोर होने पर माणिक रत्न पहनना चाहिए।
2. मोती- कुंडली में चंद्रमा के कमजोर होने पर मोती धारण करने की सलाह दी जाती है।
3. पन्ना- बुध ग्रह को शांत रखने के लिए जातक को पन्ना पहनना चाहिए।
4. मूंगा- मंगल ग्रह को मजबूत करने के लिए मूंगा धारण करें ।
5. पुखराज- गुरु ग्रह के लिए पुखराज धारण करने को कहा जाता है ।
6. हीरा- शुक ग्रह कमजोर हो तो हीरा पहनना शुभ माना जाता है ।
7. नीलम-जातक की कुंडली में शनि कमजोर हो जाए तो नीलम धारण करना चाहिए
8. गोमेद- राहु की दशा जब कुंडली में कमजोर होने लगे तो गोमेद पहनना चाहिए ।
9. लहसुनिया – केतु ग्रह अगर शांत करना हो तो लहसुनिया धारण करवाना चाहिए ।

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कब अशुभ प्रभाव बढ़ाने लगते हैं रत्न ?

कई लोगों के कमजोर ग्रहरत्न धारण करने के बाद उनके पक्ष में आ जाते हैं,उनकी दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की होने लगती है,रुके काम पूरे होने लगते हैं,लेकिन कभी-कभी रत्न धारण करने के बाद भी कुछ लोगों के काम नहीं बनते,उनके हर काम में बाधा पहले से ज्यादा बढ़ जाती है,ऐसे लोग अक्सर सारा दोष रत्न को देने लगते हैं,मगर ये दोष रत्न का नहीं बल्कि जातक के रत्न धारण करने के तरीके और समय पर भी निर्भर करता है। ग्रहों की शांति के लिए पहने जाने रत्न को जब हम गलत समय पर या गलत तरीके से धारण करते हैं तो रत्न अशुभ प्रभाव कम करने की जगह बढ़ाने लगता है ।

रत्न धारण करने में भूलकर भी न करें ये गलतियां

1.रत्न हमेशा राशि के अनुसार नहीं बल्कि कुंडली में ग्रह की स्थिति को दिखवाकर धारण करना चाहिए।
2. किस ग्रह के लिए कौन सा रत्न कब धारण करें इसके लिए कुंडली का अच्छे से विश्लेषण करवाना चाहिए।
3.हमेशा एक निश्चित माप का रत्न ही पहनना चाहिए,तभी वह लाभदायक होता है ।
4.किसी भी जातक को कुंडली के तीसरे,छवें,आठवें और बारहवें भाव के स्वामी ग्रहों के रत्न कभी भी धारण नहीं करने चाहिए,इन ग्रहों की शांति के लिए मंत्र-जाप करना चाहिए ।
5.कुछ रत्न ऐसे भी होते हैं जिन्हें साथ में पहनना अत्यंत कष्टकारी होता है,इसलिए कुंडली में जिस ग्रह की स्थिति कमजोर हो उसी के लिए रत्न धारण करना चाहिए ।


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