Bhadrapada Amavasya 2023: इस साल भाद्रपद अमावस्या 14 सितंबर को पड़ रहा है। इसे कुशग्रहणी और पीठोरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन देवी दुर्गा की जाती है। महिलाओं के लिए इस व्रत का खास महत्व होता है। व्रत करने से मनोकामना पूरी होती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस बार 12 वर्षों पर कुशा का उपयोग किया जाएगा।
बन रहा ग्रह-नक्षत्रों का अद्भुत संयोग
इस बार भाद्रपद अमावस्या पर साध्य योग का बन रहा है। साथ ही पूर्वफाल्गनी नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा सोमवार को भादो अमावस्या पड़ने के कारण व्रत का महत्व और भी ज्यादा बढ़ चुका है। 14 सितंबर सुबह 4:48 बजे अमावस्या तिथि का आरंभ होगा, जिसका समापन 15 सितंबर सुबह 7 :09 बजे होगा।
करें ये उपाय
- कल सर्पदोष के मुक्ति के लिए भाद्रपद अमावस्या के दिन चाँद के नाग-नागी का जोड़ा बनाकर उनकी पूजा करें। पूजा के बाद इसे पवित्र नदी में बहा दें।
- इस दिन विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण करें। ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है।
- शनि दोष ने मुक्ति के लिए भाद्रपद अमावस्या के दिन काले वस्त्र, काला छाता, काले जुटे, काला कंबल इत्यादि का दान करना शुभ होता है। चीटियों को आटा और चीनी मिलाकर जरूर खिलाएं।
- इस दिन कुशा एकत्रित करें और धार्मिक कार्यों में इसका इस्तेमाल साल भर करें। ऐसा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। संतान सुख की प्राप्ति होती है। पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है।
(Disclaimer: इस आलेख का उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना है। MP Breaking News इन बातों की पुष्टि नहीं करता। विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें।)