Bhanu Saptami 2024: भानु सप्तमी, सूर्य देव को समर्पित एक पावन त्योहार है। इस दिन भगवान सूर्य की आराधना करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। हिंदू धर्म में सूर्य देव को देवताओं का देवता माना जाता है। मान्यता है कि भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस वर्ष भानु सप्तमी 11 अगस्त 2024, रविवार को मनाई जा रही है। इस दिन सूर्य देव को जल अर्पित करने, मंत्र जाप करने और दान करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
भानु सप्तमी के शुभ योग
हिंदू पंचांग के अनुसार, भानु सप्तमी के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। इनमें से कुछ प्रमुख योग हैं द्विपुष्कर योग, रवि योग, अमृत काल और विजय मुहूर्त। द्विपुष्कर और रवि योग सुबह 5:48 से 5:49 मिनट तक रहेंगे, जो कि सूर्योदय के समय है। यह समय सूर्य देव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा, अमृत काल रात 10:45 से 12:32 मिनट तक रहेगा, जो कि सभी शुभ कार्यों के लिए उत्तम समय माना जाता है। विजय मुहूर्त दोपहर 2:39 से 2:32 मिनट तक रहेगा, इस दौरान किए गए शुभ कार्य सफल होते हैं। इन शुभ योगों के दौरान की गई पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
भानु सप्तमी पर करें ये विशेष काम
भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है। यदि नदी में स्नान संभव न हो तो घर पर ही गंगा जल से स्नान कर सकते हैं। स्नान के बाद भगवान सूर्य को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें और मन में उनकी स्तुति करें। विभिन्न सूर्य मंत्रों का जाप करने से मन शांत होता है और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन लाल रंग के फूल चढ़ाने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। कई भक्त इस दिन व्रत भी रखते हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है।
सूर्य देव के पूजन के लिए मंत्र
ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
अर्थ: यह मंत्र सूर्य देव की शक्ति और आभा का ध्यान करने के लिए है, जो जीवन के सभी पहलुओं में प्रकाश और ऊर्जा प्रदान करता है।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
अर्थ: इस मंत्र के द्वारा भक्त सूर्य देव से प्रार्थना करता है कि वे अपनी हजारों किरणों से मन की सभी इच्छाओं को पूर्ण करें।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।।
अर्थ: इस मंत्र के द्वारा भक्त सूर्य देव से प्रार्थना करता है कि वे अपनी अपार कृपा और प्रकाश से संसार का कल्याण करें और भक्त की भक्ति को स्वीकार करें।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)