Brihaspati Kavach: आज गुरुवार है और गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति को समर्पित है। इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा अर्चना करने और उनका ध्यान करने से भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जिस भी व्यक्ति की कुंडली में गुरु कमजोर होता है। उसे विशेष रूप से गुरुवार के दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा अर्चना करनी चाहिए। जब कुंडली में गुरु कमजोर होता है तो आर्थिक तंगी आने लगती है। अगर आप भी चाहते हैं कि आपकी कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत हो जाए तो आपको गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और गुरु स्तोत्र और बृहस्पति कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है साथ ही साथ सफलता प्राप्त होती है। इसी के साथ चली जान लेते हैं कि बृहस्पति कब है जो गुरु स्तोत्र का पाठ कैसे करना है।
|| गुरु स्तोत्र ||
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुस्साक्षात्परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरं।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
अनेकजन्मसंप्राप्तकर्मबन्धविदाहिने ।
आत्मज्ञानप्रदानेन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
मन्नाथः श्रीजगन्नाथो मद्गुरुः श्रीजगद्गुरुः।
ममात्मासर्वभूतात्मा तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
बर्ह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम्,
द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम्।
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतं,
भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि ॥
|| बृहस्पति कवच ||
अभीष्टफलदं देवं सर्वज्ञम् सुर पूजितम् ।
अक्षमालाधरं शांतं प्रणमामि बृहस्पतिम् ॥
बृहस्पतिः शिरः पातु ललाटं पातु मे गुरुः ।
कर्णौ सुरगुरुः पातु नेत्रे मे अभीष्ठदायकः ॥
जिह्वां पातु सुराचार्यो नासां मे वेदपारगः ।
मुखं मे पातु सर्वज्ञो कंठं मे देवतागुरुः ॥
भुजावांगिरसः पातु करौ पातु शुभप्रदः ।
स्तनौ मे पातु वागीशः कुक्षिं मे शुभलक्षणः ॥
नाभिं केवगुरुः पातु मध्यं पातु सुखप्रदः ।
कटिं पातु जगवंद्य ऊरू मे पातु वाक्पतिः ॥
जानुजंघे सुराचार्यो पादौ विश्वात्मकस्तथा ।
अन्यानि यानि चांगानि रक्षेन्मे सर्वतो गुरुः ॥
इत्येतत्कवचं दिव्यं त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः ।
सर्वान्कामानवाप्नोति सर्वत्र विजयी भवेत् ॥
आर्थिक तंगी से मुक्ति के लिए
1. गुरुवार के दिन स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. पीले रंग का आसन बिछाकर भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की प्रतिमा स्थापित करें।
3. दीप प्रज्वलित करें और धूप-दीप से पूजा करें।
4. गुरुवार के दिन भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति के स्तोत्र का पाठ करें।
5. विशेष रूप से बृहस्पति कवच का पाठ करें।
बृहस्पति कवच का फल
1. बृहस्पति कवच का पाठ करने से गुरु ग्रह मजबूत होता है।
2. गुरु ग्रह के मजबूत होने से ज्ञान, धन, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
3. आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है।
4. शिक्षा और करियर में सफलता प्राप्त होती है।
5. सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
6. मन को शांति और सकारात्मकता प्राप्त होती है।
बृहस्पति कवच का पाठ करने की विधि
1. गुरुवार के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. पूर्व दिशा में बैठकर भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति का ध्यान करें।
3. ॐ गुरुर्देवाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
4. बृहस्पति कवच का 11 बार पाठ करें।
5. आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
6. नियमित रूप से गुरुवार के दिन भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की पूजा करने और बृहस्पति कवच का पाठ करने से निश्चित रूप से आपको आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलेगी और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होगी।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)