धर्म, डेस्क रिपोर्ट | हिंदू मान्यता के अनुसार इन दिनों पितृ पक्ष (पिंडदान) चल रहा है। जोकि पूरे 15 दिनों तक चलता है। इस दौरान उन्हें पिंड दान करना होता है, जिनके सिर से पिता का साया उठ चुका होता है। वो अपने पूर्वजों को खुश करने के लिए दान किया जाता है। जिसके लिए कई प्रकार की धार्मिक मान्यताएं होती है। इसकी पूजा के लिए कई तरह के नियम बताए गए हैं। बता दें कि धर्म ग्रंथों के अनुसार मनुष्य पर 3 प्रकार के ऋण होते हैं – पितृ ऋण, देव ऋण और ऋषि ऋण। पितृ पक्ष के दौरान मृत माता-पिता का श्राद्ध किया जाता है। जोकि अश्विन माह के कृष्ण पक्ष में होता है। जिसमें सभी प्रकार से भरपूर मात्रा में श्राद्ध किया जाता है। ताकि उन्हें प्रसन्न करने में कोई कमी ना रह जाए। जिसके लिए पिंडदान किया जाता है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं उन स्थानों के बारे में जहां पिंडदान करने से आपके पूर्वजों को शांति और मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।
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बोधगया
बोधगया पिंडदान के सबसे मशहूर स्थान है। जोकि बिहार में स्थित हो। यहां देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग भ्रमण के लिए आते हैं। कहते है भगवान बुद्ध ने यहां वृक्ष के नीचे बैठकर अपनी शिक्षा-दीक्षा ली थी। यहां लगभग 48 ऐसी जगहें हैं जहां पर आप नियमानुसार पिंडदान कर सकते हैं।
वाराणसी
काशी विश्वनाथ का गंगा घाट पिंडदान के लिए सर्वोत्तम जगह है। जहां पूर्वजों की शांति के लिए आप यज्ञ व हवन कर सकते हैं। जहां अनुष्ठानों के दौरान मंत्रों के जाप से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। पितृ पक्ष के दौरान यहां पैर रखने की जगह भी नहीं मिलती। बता दें कि यह स्थान उत्तर प्रदेश के सबसे धार्मिक स्थलों में से एक है।
हरिद्वार
धर्म नगरी हरिद्वार का नाम भी पिंडदान के लिए मशहूर है। जहां गंगा की पावन नदी के उद्गम स्थल से कुछ दूर स्थित हरिद्वार में गंगा में डुबकी लगाना बेहद शुभ माना जाता है। जहां पंडित विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हैं और पूर्वजों को खुश करने के लिए उचित सार्मथ के हिसाब से दान किया जाता है। जिससे आपके माता-पिता को मोक्ष की प्राप्ती हो। साथ ही यहां गंगा के तट पर शाम को महा आरती का भी आयोजन होता है। जिसमें शामिल होकर आप अपने परिवार के सुख और समृद्धि की भी कामना कर सकते हैं।
उज्जैन
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन भी पिंडदान के महत्तवपूर्ण माना जाता है। जोकि मध्य प्रदेश राज्या में स्थित है। बता दें कि यहां मंदिर में सालों भर महाकाल के भक्तों की भीड़ रहती है। यहां पर पिंडदान करने के लिए देश के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं और अपने माता-पिता के मोक्ष प्राप्ती की कामना करते हैं।
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