Surya Dev : हिंदू धर्म में हर एक भगवान के लिए कोई ना कोई दिन सुनिश्चित किया गया है। इसी कड़ी में रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है। इस दिन सुबह उठकर नहाने के बाद भगवान को अर्घ्य देने वाले भक्तों पर उनकी सदैव कृपा दृष्टि बनी रहती है। भगवान सूर्य को यश, सौभाग्य, सुख-समृद्धि, तेज और करियर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों में यह बताया गया है कि सूर्य देव वेदों की आत्मा कहलाते हैं। साथ ही यह नवग्रहों के राजा भी है और पंचदेव में इनका खास स्थान है। यह इकलौते ऐसे भगवान है, जिनके दर्शन प्रत्यक्ष रूप से होते हैं।
ब्रह्म पुराण में भी सूर्य देव का वर्णन किया गया है। इसके पीछे कई सारी पौराणिक कथाएं है। जिसमें सूर्य नमस्कार और सूर्य मंत्रों का नियमित जाप शरीर और मन को स्वस्थ रखता है।
सूर्य देव की उत्पत्ति
ब्रह्म पुराण के अनुसार, जब संसार में प्रकाश नहीं था। उस समय दिन-रात का कोई भेद नहीं था, तब अंधकार ने पूरी सृष्टि को ढक लिया था। इस दौरान देवताओं और दैत्यों के बीच घोर युद्ध छिड़ गया। दानव जब देवताओं पर भारी पड़ने लगे, तब देवताओं को हार मानना पड़ा था। इस कारण उन्हें स्वर्ग छोड़कर भागना पड़ा। जिसके बाद देवता अपनी मां अदिति के पास पहुंचे और उनसे सहायता मांगी। तब माता अदिति ने देवताओं को आश्वासन दिया और दैत्यों को भगवान विष्णु के पास भेजा।
ऐसे शुरू हुआ पूजा का विधान
तब श्रीहरि ने देवताओं से कहा कि वह सूर्य देव के रुप में जन्म लेंगे और संसार में प्रकाश फैलाएंगे। सूर्य की किरणें संसार से अंधकार को दूर करेंगी और देवताओं को शक्ति देंगे। तभी से सूर्य देव की पूजा का विधान आरंभ हुआ।
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