सावन (Sawan) का महीना शुरू होने वाला है। इस महीने को काफी ज्यादा पवित्र माना जाता है। इस महीने में ही भगवान शिव (Shiv ji) और पार्वती का मिलन हुआ था ऐसे में इस महीने को लेकर काफी ज्यादा मान्यताएं है। ये महीने भगवान शिव को भी बेहद प्रिय है। सावन के महीने में सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामनएं पूर्ण होती है। वहीं भगवान शिव भी अपने भक्तों से काफी ज्यादा प्रसन्न रहते हैं।
जैसा की आप सभी जानते है सावन के महीने में कई जगहों पर कावड़ यात्रा निकाली जाती है। वहीं इस दौरान मंदिरों में भी भक्तों की काफी ज्यादा भीड़ रहती है। सावन के महीने में आप अपनी सभी परेशानियों को खत्म करने के लिए रुद्राभिषेक कर सकते हैं।
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मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव बेहद प्रसन्न होते है और भक्त की हर परेशानी दूर कर उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। लेकिन रुद्राभिषेक करने के कुछ नियम शास्त्रों में बताए गए है। उन ही नियमों के साथ रुद्राभिषेक करना चाहिए। आज हम आपको रुद्राभिषेक के कुछ नियम बताने जा रहे है, तो चलिए जानते है –
रुद्राभिषेक का महत्व –
रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव बेहद प्रसन्न होते है। ऐसे में ज्योतिषों का भी मानना है कि श्रावण मास या शिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक करने से काफी ज्यादा फायदा मिलता है। आपको बता दे, रुद्राभिषेक का मतलब होता है शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना।
सावन में ऐसा करने से हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इतना ही नहीं ऐसा करने से अभीष्ट लाभ की प्राप्ति होती है। साथ ही रोगों से भी दूरी बन जाती है। आप अगर सावन के महीने में रुद्राभिषेक करेंगे तो आपको काफी ज्यादा फायदे देखने को मिलेंगे।
सही तरीका और नियम –
आपको बता दे, रुद्राभिषेक करते समय ये बात का ध्यान रखें की अगर आप घर में रुद्राभिषेक कर रहे है तो भक्त का मुख पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए और शिवलिंग को पूजा स्थल की उत्तर दिशा में होना चाहिए।
उसके बाद अभिषेक करते समय आप सबसे पहले शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करें। उसके बाद ही रुद्राभिषेक शुरू करें। रुद्राभिषेक करते समय आप गन्ने का रस, शहद, दही, दूध यानी पंचामृत समेत जितने भी तरल पदार्थ हैं उससे अभिषेक करें। ऐसा करते करते ॐ नमः शिवाए का जाप जरूर करें। या फिर आप महामृत्युंजय का भी जाप कर सकते हैं।
फिर आपको शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाना है। उसके बाद पान का पत्ता, बेलपत्र आदि चीज़ों को चढ़ाएं। इसके अलावा आप भगवान शिव को चढ़ने वाले भोग के लिए व्यंजन पहले से बना कर रखे। इसे भी शिवलिंग को अर्पित करें। उसके बाद आप 108 बार मंत्र का जाप करें। और फिर भोलेनाथ की आरती उतार कर दीप प्रज्वलित करें।