धर्म, डेस्क रिपोर्ट। हिन्दू धर्म में कई सारी परंपराएं ऐसी हैं जो प्राचीन काल से चली आ रही हैं उन्हीं में से एक परंपरा तिलक लगाकर उसपर चावल लगाने की है। जी हां आमतौर पर माथे पर तिलक लगाकर उसपर चावल को चिपका दिया जाता है। सभी लोग इस परंपरा को निभाते तो आ रहे हैं लेकिन बहुत ही कम लोग इसके पीछे के कारण से अवगत हैं। हो सकता है कि आप भी माथे पर तिलक लगाकर चावल लगाने की परंपरा से अनभिज्ञ हों। अगर ऐसा है तो यहां पर हम आपको इसके पीछे के कारण के बारे में बताने जा रहे हैं। चलिए जानते हैं विस्तार से….
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बहुत बार आपने देखा होगा कि तिलक लगाने के बाद उस पर चावल लगा दिया जाता है या फिर चावल के कुछ दाने आप के सिर पर डाल दिए जाते हैं। लेकिन हिन्दू धर्म में ऐसा क्यों किया जाता है? वैसे देखा जाए तो यह एक धार्मिक आस्था का मामला है, जिसमें तिलक के साथ चावल का उपयोग किया जाता है। वहीं इसके पीछे के कारण की अगर बात करें तो चावल को शुध्द अन्न माना गया है। इसलिए इसे हर छोटी से लेकर बड़ी-बड़ी पूजा में व अनुष्ठान में चावल का उपयोग किया जाता है। यहां तक कि भगवान को लगने वाले भोग में भी चावल का उपयोग किया जाता है।
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शुध्द अन्न की वजह से ही इसे हवन में देवी देवताओं को भी चढ़ाया जाता है। धार्मिक दृष्टि से इसे अक्षत भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘कभी नाश न होने वाला’ बस ही वजह है कि किसी भी कार्य की सफलता के लिए चावल का उपयोग किया जाता है और तिलक लगाने के बाद उस पर चावल चिपका दिया जाता है या फिर सिर पर इसके कुछ दाने डाल दिए जाते हैं।
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माथे पर तिलक लगाने के बाद उस पर चावल लगा देने के और भी कई धार्मिक कारण हैं जिसमें यह भी माना गया है कि चावल सकारात्मकता का प्रतीक है और इसे माथे पर लगाने के एक नई ऊर्जा का प्रवाह पैदा होता है। बस यही वजह है कि चावल को तिलक लगाने के बाद या तो उसे माथे पर चिपका दिया जाता है या फिर उसके कुछ दाने आपके सिर पर डाल दिए जाते हैं।