Famous Temples: सनातन धर्म में ईश्वर प्राप्ति का मार्ग अनेक आयामों वाला है। भक्ति, पूजा और साधना इन तीन स्तंभों पर यह मार्ग टिका हुआ है। भक्ति के माध्यम से साधक प्रेम और समर्पण भाव से परमात्मा के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करता है। यह भक्ति गीत, स्तुति, मंत्रों का जाप, या फिर सेवा भाव के रूप में प्रकट हो सकती है। पूजा में विधि-विधानों का पालन करते हुए देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है। पूजा में दीप, धूप, नैवेद्य, फूल, फल आदि अर्पित किए जाते हैं। साधना का अर्थ है आत्म-अनुशासन और आत्म-विकास। योग, ध्यान, प्राणायाम, मंत्र साधना आदि साधना के विभिन्न रूप हैं। इन तीनों मार्गों का अनुसरण करते हुए साधक उच्च लोक में स्थान प्राप्त करता है। सनातन शास्त्रों में कहा गया है कि आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार भक्ति के जरिए होता है।
इसलिए साधु-संत, ऋषि-मुनि ईश्वर प्राप्ति के लिए कठिन तप करते हैं। वहीं, सामान्यजन अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए ईश्वर भक्ति करते हैं। परम पिता परमेश्वर बड़े ही दयालु और कृपालु हैं। केवल भक्ति भाव से ही वे प्रसन्न हो जाते हैं और साधक के सभी मनोरथ सिद्ध करते हैं। इष्ट देव की कृपा पाने और समस्त पापों से मुक्ति पाने के लिए तीर्थयात्रा भी एक महत्वपूर्ण साधन है। भारतवर्ष में अनेक प्रमुख तीर्थस्थल हैं जैसे केदारनाथ, बद्रीनाथ, महाकाल, तिरुपति बालाजी, कामाख्या मंदिर, वैष्णो देवी मंदिर, सोमनाथ मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, इस्कॉन, काली मंदिर आदि। इन तीर्थस्थलों में जाकर स्नान, दर्शन, पूजा-अर्चना करने से साधक को पुण्य प्राप्त होता है और उसकी आध्यात्मिक उन्नति होती है। सनातन धर्म में ईश्वर प्राप्ति का मार्ग सरल और सुगम है। यह हर व्यक्ति के लिए खुला है, चाहे वह गरीब हो या अमीर, शिक्षित हो या अशिक्षित। भारत में अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं जहाँ धार्मिक परंपराओं और रीति-रिवाजों के तहत श्रद्धालुओं को विशिष्ट पोशाक पहननी होती है। इनमें से कुछ मंदिरों में पुरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी पहनकर दर्शन करने होते हैं।
5 प्रसिद्ध मंदिर जहां दर्शन के लिए जरुरी है धोती और साड़ी
महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन
मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर अपनी प्राचीनता, भव्यता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग स्वयंभू माना जाता है। यहाँ प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने उज्जैन आते हैं। महाकालेश्वर मंदिर में होने वाली भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है। यह आरती प्रतिदिन भोर 3 बजे से 4 बजे तक की जाती है। भस्म आरती में शामिल होने के लिए श्रद्धालुओं को ड्रेस कोड का पालन करना होता है। पुरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी पहनना अनिवार्य है। यह ड्रेस कोड महाकालेश्वर मंदिर की गरिमा और पवित्रता को बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही, यह श्रद्धालुओं को भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।
पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुवनंतपुरम, केरल
पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुवनंतपुरम, केरल में स्थित, भगवान विष्णु को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। 17वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर अपनी भव्य वास्तुकला और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। यह मंदिर द्रविड़ शैली में बनाया गया है और इसमें कई मंडप, गोपुरम और मूर्तियाँ हैं जो भगवान विष्णु और अन्य हिंदू देवी-देवताओं को दर्शाती हैं। मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा गर्भगृह है, जहाँ भगवान पद्मनाभस्वामी (विष्णु) की विशाल मूर्ति स्थापित है। यह भारत का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है। पद्मनाभस्वामी मंदिर में प्रवेश करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना होता है। सभी पुरुषों को धोती पहननी होती है और सभी महिलाओं को साड़ी पहननी होती है।
जगन्नाथ मंदिर, पुरी, ओडिशा
जगन्नाथ मंदिर, पुरी, ओडिशा में स्थित, भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। 12वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर अपनी भव्य वास्तुकला, समृद्ध इतिहास और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह मंदिर चारधाम में से एक है और हर साल लाखों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है। मंदिर का मुख्य आकर्षण रथ यात्रा का त्योहार है, जो हर साल भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की विशाल रथों में यात्रा के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार भारत का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव है और दुनिया भर से लाखों लोग इसमें शामिल होते हैं। जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना होता है। सभी पुरुषों को धोती पहननी होती है और सभी महिलाओं को साड़ी पहननी होती है।
तिरुपति बालाजी मंदिर, तिरुपति
तिरुपति बालाजी मंदिर, तिरुपति, आंध्र प्रदेश में स्थित, भगवान वेंकटेश्वर, भगवान विष्णु के एक रूप को समर्पित दुनिया का सबसे अमीर मंदिर है। 10वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर अपनी भव्य वास्तुकला, समृद्ध इतिहास और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह मंदिर तिरुमला पहाड़ियों पर स्थित है और इसे “दक्षिण का कैलाश” भी कहा जाता है। भगवान वेंकटेश्वर को “कल्पवृक्ष” माना जाता है, जो भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं। हर साल लाखों तीर्थयात्री इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रवेश करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना होता है। सभी पुरुषों को धोती पहननी होती है और सभी महिलाओं को साड़ी पहननी होती है।
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