Vastu Tips: हिंदू धर्म में पितृपक्ष एक महत्वपूर्ण अवधि है, जो हमारे पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने के लिए समर्पित है। यह अवधि 16 दिनों तक चलती है जिसे आश्विन माह में मनाया जाता है। इस अवधि के दौरान हिंदू धर्म के लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण जैसे धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
पितृपक्ष सिर्फ श्राद्ध और तर्पण का समय ही नहीं है, बल्कि यह हमारे पूर्वजों के साथ एक गहरा संबंध बनाने का अवसर भी है। वास्तु शास्त्र में पितृपक्ष को लेकर भी कई नियम बताए गए हैं। वास्तु के अनुसार पितृपक्ष के दौरान घर में कुछ बदलाव करने, घर को ठीक तरह से व्यवस्थित करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। इसी के साथ चलिए जानते हैं वास्तु शास्त्र में पितृपक्ष के क्या-क्या नियम बताए गए हैं।
घर की साफ सफाई
पितृपक्ष शुरू होने से पहले घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई जरूर करनी चाहिए। साफ-सफाई न केवल घर को सुंदर बनाती है। बल्कि हमारे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करती है। जिस तरह घर में मेहमान आते हैं तब हम घर की अच्छे से साफ-सफाई करते हैं इस तरह पितृपक्ष के दौरान हमें पितरों के लिए घर की साफ-सफाई करनी चाहिए। साफ सुथरा घर हमारे पूर्वजों को प्रसन्न करता है और उनकी कृपा प्राप्त होती है।
दीपक जलाना
वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि घर का दक्षिण-पश्चिम कोना हमारे पूर्वजों से जुड़ा होता है। इसलिए पितृपक्ष की अवधि के दौरान इस दिशा में दीपक जलाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिशा में दीपक जलाने से हमारे पूर्वजों को शांति मिलती है और वह हमें आशीर्वाद देते हैं। दक्षिण-पश्चिम कोने में दीपक जलाना ही चाहिए इसके अलावा एक दीपक सरसों के तेल का पीपल के पेड़ के नीचे भी जलाकर रखना चाहिए।
इस दिशा में करें तर्पण
जैसा कि हमने आपको बताया पितृपक्ष के दौरान दक्षिण दिशा का विशेष महत्व होता है। इसलिए पितृपक्ष के दौरान पूजा, श्राद्ध या तर्पण करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। इसके अलावा इस बात का ध्यान रखें दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोना अशुभ माना जाता है इस दिशा में पैर करके सोने से हमारे पूर्वज नाराज हो सकते हैं।
पितृपक्ष के दौरान इन पशु को भोजन कराना
पितृपक्ष के दौरान गाय, कुत्ते और कौवे को भोजन कराना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। ऐसा माना जाता है कि पशु हमारे पूर्वजों के दूत होते हैं और उन्हें भोजन कराने से हमें हमारे पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस उपाय को करने के लिए हमें रोजाना भोजन से कुछ हिस्सा पशुओं के लिए अलग रखना चाहिए।
पितृ पक्ष के दौरान पौधे लगाना
पितृ पक्ष के दौरान पौधे लगाना एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण पश्चिम दिशा में नीम और बेल जैसे पौधे लगाने से पितृ दोष शांत होता है। इसके अलावा तुलसी का पौधा भी पितृपक्ष में विशेष महत्व रखता है इसे घर के उत्तर-पूर्व कोने या आंगन में लगाना चाहिए। इन सभी पौधे की नियमित रूप से पूजा करने और जल चढ़ाने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)