हिंदू धर्म में गणगौर पूजा (Gangaur Puja) का विशेष महत्व है। यह मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। बता दें कि यह त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है। इस दिन सुहागन औरतें अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए कामना करती हैं। वहीं, कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। यह पर्व चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है, जो कि आज है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस दिन रवि योग का निर्माण हो रहा है, जो दोपहर 1:45 से शुरू होकर दोपहर 2:08 तक रहेगा। वहीं, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से शुरू होकर 12:50 तक रहेगा। इसके साथ ही, विजय मुहूर्त दोपहर 2:30 से शुरू होकर दोपहर 3:20 तक रहेगा, जबकि गोधूलि मुहूर्त शाम 6:37 से शाम 7 बजे तक रहेगा। इन शुभ मुहूर्त पर पूजा करने से महादेव की असीम कृपा प्राप्त होगी।

लगाएं ये भोग
भोग के तौर पर माता पार्वती और भगवान शिव को गेहूं से बनी प्रसाद जैसे गुड़ की लापसी, घेवर और हलवा, आदि चढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, फूल, फल, मिठाई और सुख मेवे भी चढ़ाए जाते हैं। कुछ स्थानों पर दाल, बाटी और चूरमा भी भगवान को भोग के तौर पर अर्पित किया जाता है।
ऐसे करें पूजा
- इस दिन सुबह उठकर सबसे पहले घर की साफ सफाई करें।
- फिर स्नान करके साथ वस्त्र धारण कर लें।
- इसके बाद मिट्टी की गौरी और शिव की मूर्ति या फिर प्रतिमा स्थापित करें।
- अब उन्हें नए वस्त्र और आभूषण से सजा दें।
- अब कुएं या फिर तालाब से कलश में जल भर कर ले आएं।
- फिर पूजा के स्थान पर इसे स्थापित कर दें।
- व्रत के दौरान गौरी और शंकर की विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना करें।
- फूल, फल सहित धूप दिखाएं।
- गोबर के पिंड बनाकर भगवान को अर्पित करें।
- फिर इसकी विधिविधान से पूजा भी करें।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)