Kalawa Tie Rules : हिंदू धर्म में बहुत सारे नियम कानून बनाए गए हैं। अक्सर आपने देखा होगा की पूजा-पाठ खत्म होने के बाद महिलाएं और पुरुष दोनों ही हाथ में कलावा बंधवाते हैं। इसके बदले वह पंडित जी को दक्षिणा देकर आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं। सनातन धर्म में कलावा बांधने के लिए भी नियम बनाए गए हैं। इसके बारे में बहुत सारे लोगों को पता भी नहीं है, जिसका उन्हें काफी नकारात्मक परिणाम भुगतना पड़ता है।
कलावा को मौली भी कहा जाता है, जिसे बांधना काफी शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह जीवन में नकारात्मक ऊर्जा से आपकी रक्षा करता है।
धार्मिक महत्व
सनातन धर्म में कलवा को ईश्वरीय आशीर्वाद माना गया है, जिसे हर शुभ कार्य को करने से पहले बांधा जाता है। इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। सदियों से निभाई जाने वाली है परंपरा को रक्षा सूत्र के नाम से भी जानी जाती है या फिर इसे लोग संकल्प भी कहते हैं। इसे हर शुभ कार्य में क्यों बांधते हैं, इसका उल्लेख भी ग्रंथ में किया गया है। कलावा लाल-पीला और लाल-सफेद रंग के धागों का मिश्रण होता है। यह भगवान और भक्त के बीच पवित्र बंधन माना जाता है।
इतने बार बांधे कलावा
सनातन धर्म में कलावा बांधने के कुछ नियम बनाए गए हैं। जिसके तहत, इसे तीन बार, पांच बार या सात बार लपेटना शुभ माना जाता है, क्योंकि इन संख्याओं का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है।
- तीन बार का महत्व त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अलावा स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल से जुड़ा हुआ है।
- पांच बार का महत्व पंच तत्व यानी आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी से जुड़ा है।
- सात बार का महत्व सप्त ऋषि, सप्तलोक और सात फेरे से जुड़ा है।
इतने दिनों तक बांधे कलावा
कुछ लोग के कलावा को बहुत लंबे समय तक पहने रहते हैं, लेकिन यह कितने दिनों तक पहने जाना चाहिए इसके बारे में भी ग्रंथों में उल्लेख किया गया है। जिसके तहत, यह जब तक स्वयं न टूट जाए तब तक इसे पहनना शुभ माना जाता है। इसके बाद इसे पवित्र नदी में बहा देना चाहिए। कम-से-कम 15 दिनों तक के कलावा बांधना शुभ है। पुरुषों को दाहिने हाथ पर कलावा बांधना चाहिए, तो वहीं महिलाओं को बाएं हाथ पर कलावा बांधना शुभ कहलाता है। इससे घर में सुख और समृद्धि आती है।
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)