सनातन धर्म में कलावा को बहुत ही पवित्र धागा माना गया है। इसका हर धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ और संस्कारों के दौरान इस्तेमाल किया जाता है। हाथ में बांधे जाने वाले इस पवित्र धागे को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, जो व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से बचाता है। मौली धागे का केवल धार्मिक महत्व ही नहीं होता, बल्कि इसके वैज्ञानिक लाभ भी होते हैं। अक्सर सभी के हाथों में यह बंधा हुआ नजर आता है।
कलावा लाल, पीले और कभी-कभी हरे रंग कसूती धागा होता है। जिसे पूजा के दौरान पंडित द्वारा मंत्र उच्चारण के साथ बांधा जाता है। इससे देवी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

पूजा के नियम
सनातन धर्म में पूजा पाठ को लेकर बहुत सारे नियम कानून बनाए गए हैं। ऐसे में आज हम आपको कलावे की बाती का दीपक बनाकर देवी देवता के सामने जलाने के बारे में बताएंगे। जैसा कि हम सभी जानते हैं हर पूजा पाठ से पहले दीपक जलाना बहुत जरूरी और महत्वपूर्ण माना गया है। अक्सर दीपक जलाने के लिए अलग-अलग तरह की बाती यानी की रुई का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कलावे की बातें का इस्तेमाल करना भी बेहद खास माना जाता है। कलावे की बाती का दिया जलाना शुभ होता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है।
हनुमान जी
ज्योति शास्त्रों के अनुसार, कलावे की बाती का दीया हनुमान जी के सामने जलाना चाहिए। ऐसा करने से राम भक्त हनुमान की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा, मंगल दोष से भी छुटकारा मिल जाता है। घर में सुख शांति आती है।
मां लक्ष्मी
आप चाहे तो माता लक्ष्मी के सामने भी कलावे की बाती का दीया जला सकते हैं। ऐसा करने पर घर में कभी भी धन दौलत की कमी नहीं रहती, बल्कि हमेशा ही पैसों से तिजोरी भरी रहती है। उन पर सदैव मां लक्ष्मी अपनी कृपा बरसाती हैं।
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