प्रकृति से खिलवाड़ पड़ेगा महंगा! पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया कड़ा फैसला, एक पेड़ काटने पर भरना होगा 1 लाख जुर्माना

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कटाई को लेकर एक ऐसा बयान दिया है, जिसने हर इंसान को सोचने पर मजबूर कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि पेड़ काटना किसी इंसान को काटने जैसा है, क्योंकि ये भी जीवित होते हैं और हमारी जिंदगी के लिए बेहद जरूरी हैं।

Supreme Court: पेड़-पौधे हमारे लिए कितने ज़रूरी है शायद यह तो बताने की ज़रूरत ही नहीं है क्योंकि बचपन से ही स्कूल में हम इस बात की शिक्षा लेते हुए आए हैं कि पेड़ लगाना हम सबका कर्तव्य है, पेड़ हमें ऑक्सीजन प्रदान करता है, पेड़ लगाने से हम सुरक्षित जीवन जीते हैं, साथ ही साथ हमारी उम्र भी बढ़ती है। अब पेड़-पौधों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी मंगलवार को एक बयान दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिन मंगलवार को पेड़ों को लेकर एक बहुत बड़ा फ़ैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ़ कहा है कि पेड़ काटना ऐसा है जैसे कि इंसान को काटना, उन्होंने कहा कि पर्यावरण को नुक़सान पहुँचाने वालों को बख़्शा नहीं जाएगा, जो भी लोग पर्यावरण को नुक़सान पहुँचाते हुए पाए जाएंगें उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की मुख्य बातें

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्वल भुइयां की पीठ ने साफ़ शब्दों में कहा कि अवैध रूप से काटे गए हर एक पेड़ के लिए हर एक व्यक्ति को कम से कम एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। बिना अनुमति के पेड़ काटने या फिर पेड़ पौधों की छेड़-छाड़ करने वालों के ख़िलाफ़ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। इतना ही नहीं कोर्ट ने उस व्यक्ति की अपील भी ठुकरा दी है जिसने ताजमहल के आस पास के संरक्षित क्षेत्र में 454 पेड़ काट डाले थे।

शंकर अग्रवाल नामक व्यक्ति पर व्यक्ति पर लगा 4. 54 करोड़ का जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक बड़ा फ़ैसला सुनाते हुए शिव शंकर अग्रवाल नामक व्यक्ति पर 554 पेड़ काटने के लिए 4. 54 करोड़ रुपये का भारी जुर्माना लगा दिया है। कोर्ट ने सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी की रिपोर्ट मानते हुए हर कटी पेड़ पर 1 लाख रुपये का जुर्माना ठहराया।

कोर्ट ने जुर्माना घटाने से किया इनकार

अग्रवाल के वक़ील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से जुर्माना कम करने की गुहार लगायी है और बताया है कि उनके मुवक्किल ने अपनी गलती मान ली है। उन्होंने जुर्माना कम करने की सिफ़ारिश के साथ-साथ यह भी कहा कि अग्रवाल को सिर्फ़ उसी जगह पर नहीं बल्कि आस पास के इलाकों में भी पेड़ लगाने की इजाज़त दी जाए। हालाँकि, कोर्ट ने जुर्माना कम करने से साफ़ इंकार कर दिया है लेकिन आस पास के इलाकों में पेड़ लगाने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने यह साफ़ कर दिया है कि पर्यावरण को नुक़सान पहुँचाने वाला चाहे कोई भी क्यों न हो उसके साथ कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।

रात के अंधेरे में हुई थी पेड़ों की अवैध कटाई

केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट में यह ख़ुलासा हुआ है कि पिछले साल 18 सितंबर की रात का फ़ायदा उठाकर बड़े पैमाने में पेड़ों की कटाई की गई थी, जिसमें 442 पेड़ निजी भूमि यानी डालमिया फ़ार्म के थे और 32 पेड़ संरक्षित वन क्षेत्र में काटे गए थे। इस अपराध को देखते हुए चीफ़ जस्टिस की अगुवाई वाली पीठ ने न केवल भूमि मालिक शिव शंकर अग्रवाल के ख़िलाफ़ अवमानना कार्रवाई शुरू की है बल्कि UP वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 और भारतीय वन अधिनियम 1927 के तहत कड़ी दण्डनात्मक कार्रवाई का निर्देश दिया।

 


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Bhawna Choubey

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