खंडग्रास चन्द्रग्रहण 16 को, रात्रि में मंदिरों के पट रहेंगे बंद, नहीं होगी पूजा-पाठ आरती

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भोपाल। ज्योतिष गणानुसार चन्द्र एवं सूर्य ग्रहण पड़ते हैं। अमावस्या को सूर्य ग्रहण एवं पूर्णिमा को चन्द्र ग्रहण आता है। आषाढ़ शुक्ल गुरु पूर्णिमा मंगलवार 16 जुलाई को चन्द्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा। चन्द्र ग्रहण की सूतक लगने से मंदिरों के पट बंद हो जाएगे और पूजा-पाठ, आरती नहीं होगी। मां चामुंडा दरबार के पुजारी गुरूजी पं. रामजीवन दुबे एवं ज्योतिषाचार्य विनोद रावत ने बताया कि चन्द्र ग्रहण करीब तीन घंटे तक लोग आकाश में खंगोलीय घटना का नजारा देख सकेंगे। 16-17 जुलाई की दर मियानी रात ग्रहण 1.31 बजे स्पर्श, रात्रि 3.01 बजे मध्य, रात्रि 4.30 बजे मोक्ष होगा। ग्रहण का कुल समय 3 घंटे का रहेगा। ग्रहण का सूतक शाम 4.31 से प्रारंभ होगी। बाल, वृद्ध एवं रोगी के लिए सूतक रात्रि 10.31 से मानी जावेगी। धनु राशि के चन्द्रमा की साक्षी में आ रही है। ग्रह गोचर की दृष्टि से देखे तो इस दिन खंडग्रास चन्द्र ग्रहण का योग बन रहा है। यह ग्रहण पूरे भारत के अलावा आस्ट्रेलिया,एशिया, यूरोप, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका में भी दिखाई देगा। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र तथा धनु व मकर राशि में चन्द्र ग्रहण होने से अतिवृष्टि के साथ कही-कहीं प्राकृतिक असंतुलन की स्थिति निर्मित होगी। ग्रहों की दृष्टि से चन्द्र ग्रहण धनु राशि में चन्द्र केतु शनि की त्रिग्रह युति के साथ है। यही नहीं इसका समसप्तक दृष्टि संबंध मिथुन राशि स्थित सूर्य, राहु व शुक्र की त्रिग्रही यूति से बन रहा है। ग्रह युतियों में देखे तो युतियों में चार ग्रह राहु-केतु से पीडि़त है इसका असर प्राकृतिक, सामाजिक व राजनीतिक प्रभावों को दर्शाएगा।

चन्द्र ग्रहण का राशियों पर पडऩे वाला प्रभाव :

मेष-मान नाश, वृषभ-मृत्युतुल्य कष्ट, मिथुन-स्त्री पीड़ा, कर्क-सौ य, सिंह-चिंता, कन्या- व्यथा, तुला-श्री, वृश्चिक-क्षति, धनु-घात, मकर-हानि, कुंभ-लाभ, मीन-सुख।

यहां नजर आएगा एवं प्रभाव

चन्द्रग्रहण का प्रभाव शासन की कार्यप्रणाली में परिवर्तन के रूप में दिखाई देगा। अधिकारियों में कार्य का परिवर्तन होगा। चन्द्र ग्रहण की युति का मंगल, बुध से खड़ाष्टक योग बनेगा। ग्रह स्थिति जलवायु परिवर्तन के लिए खास है। चन्द्रमा की राशि कर्क में मंगल तथा बुध का गोचर वर्षा ऋतु के चक्र को प्रभावित करेगा। यह चन्द्र ग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा। चन्दग्रहण समाप्ति के बाद प्रात: स्नान, पूजा-पाठ, दान करने का विशेष महत्व माना गया है।


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