Mangala Gauri Vrat 2024: सावन मास के हर मंगलवार को मनाया जाने वाला मंगला गौरी व्रत, सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। आज, 30 जुलाई को सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत मनाया जा रहा है। माता पार्वती की आराधना से सुहागिन महिलाओं को पति की लंबी उम्र, संतान सुख और वैवाहिक जीवन में मधुरता मिलती है। इस पावन व्रत में महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
मंगला गौरी व्रत का महत्व
यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए किया जाता है। संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है। यह व्रत मन को शांत और स्थिर रखने में मदद करता है। इस व्रत को करने से माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।
व्रत के दौरान करें ये काम
मंगला गौरी व्रत का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना है। इस दिन आप शिव-पार्वती का श्रृंगार करें, उन्हें फूल चढ़ाएं और आरती करें। मंगला गौरी व्रत की कथा सुनने से मन शांत होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आप मंदिर में जाकर कथा सुन सकती हैं या घर पर ही कथा पुस्तक पढ़ सकती हैं। मंगला गौरी व्रत के दिन सुहाग का सामान जैसे सिंदूर, बिंदी, चूड़ी आदि माता पार्वती को अर्पित करें। मंगला गौरी व्रत के दौरान “ॐ जय माता पार्वती” या “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। मंगला गौरी व्रत के दिन दान करना बहुत शुभ माना जाता है। आप किसी जरूरतमंद को भोजन, कपड़े या धन दान कर सकती हैं। मंगला गौरी व्रत के दौरान पति की लंबी उम्र और सुखमय जीवन के लिए माता पार्वती से प्रार्थना करें। इस दिन आप कोई शुभ कार्य कर सकती हैं जैसे कि गरीबों को भोजन करवाना, मंदिर में जाकर पूजा करना आदि।
गौरी चालीसा
।।चौपाई।।
मन मंदिर मेरे आन बसो,
आरम्भ करूं गुणगान,
गौरी माँ मातेश्वरी,
दो चरणों का ध्यान।
पूजन विधि न जानती,
पर श्रद्धा है अपार,
प्रणाम मेरा स्वीकारिये,
हे माँ प्राण आधार।
नमो नमो हे गौरी माता,
आप हो मेरी भाग्य विधाता,
शरणागत न कभी घबराता,
गौरी उमा शंकरी माता।
आपका प्रिय है आदर पाता,
जय हो कार्तिकेय गणेश की माता,
महादेव गणपति संग आओ,
मेरे सकल क्लेश मिटाओ।
सार्थक हो जाए जग में जीना,
सत्कर्मो से कभी हटूं ना,
सकल मनोरथ पूर्ण कीजो,
सुख सुविधा वरदान में दीज्यो।
हे माँ भाग्य रेखा जगा दो,
मन भावन सुयोग मिला दो,
मन को भाए वो वर चाहूं,
ससुराल पक्ष का स्नेहा मैं पायु।
परम आराध्या आप हो मेरी,
फ़िर क्यों वर में इतनी देरी,
हमरे काज सम्पूर्ण कीजियो,
थोडे़ में बरकत भर दीजियो।
अपनी दया बनाए रखना,
भक्ति भाव जगाये रखना,
गौरी माता अनसन रहना,
कभी न खोयूं मन का चैना।
देव मुनि सब शीश नवाते,
सुख सुविधा को वर मैं पाते,
श्रद्धा भाव जो ले कर आया,
बिन मांगे भी सब कुछ पाया।
हर संकट से उसे उबारा,
आगे बढ़ के दिया सहारा,
जब भी माँ आप स्नेह दिखलावे,
निराश मन में आस जगावे।
शिव भी आपका काहा ना टाले,
दया दृष्टि हम पे डाले,
जो जन करता आपका ध्यान,
जग में पाए मान सम्मान।
सच्चे मन जो सुमिरन करती,
उसके सुहाग की रक्षा करती,
दया दृष्टि जब माँ डाले,
भव सागर से पार उतारे।
जपे जो ओम नमः शिवाय,
शिव परिवार का स्नेहा वो पाए,
जिसपे आप दया दिखावे,
दुष्ट आत्मा नहीं सतावे।
सात गुण की हो दाता आप,
हर इक मन की ज्ञाता आप,
काटो हमरे सकल क्लेश,
निरोग रहे परिवार हमेशा।
दुख संताप मिटा देना माँ,
मेघ दया के बरसा देना माँ,
जबही आप मौज में आय,
हठ जय माँ सब विपदाएं।
जिस पे दयाल हो माता आप,
उसका बढ़ता पुण्य प्रताप,
फल-फूल मै दुग्ध चढ़ाऊ,
श्रद्धा भाव से आपको ध्यायु।
अवगुण दृष्टि दृष्टि दृष्टि मेरे ढक देना माँ,
ममता आंचल कर देना मां,
कठिन नहीं कुछ आपको माता,
जग ठुकराया दया को पाता।
बिन पाऊ न गुन माँ तेरे,
नाम धाम स्वरूप बहू तेरे,
जितने आपके पावन धाम,
सब धामो को मां प्राणम।
आपकी दया का है ना पार,
तभी को पूजे कुल संसार,
निर्मल मन जो शरण में आता,
मुक्ति की वो युक्ति पाता।
संतोष धन्न से दामन भर दो,
असम्भव को माँ सम्भव कर दो,
आपकी दया के भारे,
सुखी बसे मेरा परिवार।
आपकी महिमा अति निराली,
भक्तो के दुःख हरने वाली,
मनोकामना पुरन करती,
मन की दुविधा पल मे हरती।
चालीसा जो भी पढें सुनाया,
सुयोग वर् वरदान में पाए,
आशा पूर्ण कर देना माँ,
सुमंगल साखी वर देना माँ।
गौरी माँ विनती करूँ,
आना आपके द्वार,
ऐसी माँ कृपा किजिये,
हो जाए उद्धार।
हीं हीं हीं शरण में,
दो चरणों का ध्यान,
ऐसी माँ कृपा कीजिये,
पाऊँ मान सम्मान।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)