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Fri, Dec 19, 2025

शुभ माना जाता है विमल योग, विपरीत राजयोग से है संबंध, जानें कैसे होता है कुंडली में इसका निर्माण

Written by:Ayushi Jain
Published:
शुभ माना जाता है विमल योग, विपरीत राजयोग से है संबंध, जानें कैसे होता है कुंडली में इसका निर्माण

Rajyog 2025

Rajyog In Kundali: किस्मत वालों की कुंडली में राजयोग पाया जाता है। जिन जातकों की कुंडली में राजयोग होता है वो कामयाबी की ऊंची बुलंदियां हासिल करता है। इतना ही नहीं उन जातकों के पास धन की भी कोई कमी नहीं होती है। वह धन संपदा से परिपूर्ण होते हैं। राजयोग कुछ विशेष ग्रहों की युति से कुंडली में बनते हैं। हालांकि जिन जातकों की कुंडली में राजयोग नहीं होता है वह जीवन में थोड़ी दिक्कतों का सामना करते हैं उनके पास धन की भी कमी रहती है और जीवन में काफी ज्यादा परेशानियां भी झेलना पड़ती है।

आपको बता दे, राजयोग को सबसे भाग्यशाली और शुभ योग माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में भी इसका काफी ज्यादा महत्व माना जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार लगभग 30 राजयोग और 3 प्रकार के विपरीत राजयोग होते हैं। आज हम आपको विपरीत राजयोग का ही एक प्रकार बताने जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं उस योग के बारे में विस्तार सी –

Rajyog In Kundali : विपरीत राजयोग क्या है कितने होते हैं इसके प्रकार?

सबसे पहले जानते हैं विपरीत राजयोग क्या होता है। आपको बता दें विपरीत राजयोग को शुभ योग में से एक माना जाता है। वैदिक ज्योतिष के मुताबिक नकारात्मक भाव वाले ग्रहों के संयोजन से निर्मित होने वाले योग को विपरीत राजयोग है। कहा जाता है इसका मतलब यह है कि अगर कुंडली में छठे, आठवें और बारहवें भाव के स्वामी अन्य दो भावों के साथ स्थित होते हैं तब विपरीत राजयोग बनता है। यह योग व्यक्ति को अच्छा चरित्र, स्वास्थ्य, शक्ति, सकारात्मक ऊर्जा, धन संपदा आदि सब कुछ प्राप्त करवाता है।

विपरीत राजयोग तीन प्रकार के होते हैं पहले हर्ष राजयोग, दूसरा सरल राजयोग, तीसरा विमल राजयोग। आपको बता दे जब कुंडली के छठे भाव का स्वामी आठवी या बारहवें भाव में हो तब हर्ष योग बनता है। वहीं जब कुंडली में आठवें भाव के स्वामी छठे या बारहवें भाव में बैठे हो तब सरल योग बनता है और जब बारहवें भाव के स्वामी छठे या आठवें भाव में स्थित हो तब विमल योग बनता है। यह योग सबसे ज्यादा फायदेमंद माने जाते हैं। इन्हीं तीन योग में से आज हम आपको विमल राजयोग के बारे में बताने जा रहे हैं तो चलिए जानते हैं –

Vimal Rajyog कैसे होता है? निर्मित क्या है इसके लाभ?

जैसा कि सभी जानते हैं विपरीत राजयोग का ही एक भाग विमल योग है।ऐसे में यह जातक को हानि नहीं पहुंचते हैं। अगर किसी जाता की कुंडली के बारे में भाव का स्वामी अपने ही भाव में छठे आठवें भाव में बैठा हो तब विमल राजयोग का फल जातकों को प्राप्त होता है। यह बुरे परिणामों को रोकने के लिए कारगर माना जाता है। यह योग जी भी व्यक्ति की कुंडली में बनता है। उसे व्यक्ति जीवन में हर तरह की सफलता मिलती है। इतना ही नहीं धन संपत्ति का लाभ भी जातकों को मिलता है। चलिए जानते हैं किस व्यक्ति की कुंडली में कैसे बनता है विमल राजयोग –

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति की कुंडली के बारे में भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब वह जातक विद्वान माना जाता है, ऐसे जातकों को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होता होती है इतना ही नहीं उन्हें धन की भी कोई कमी नहीं होती। वह जीवन में खूब तरक्की करते हैं। वहीं अगर बारहवें भाव का स्वामी आठवें भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक ज्ञानी और गुप्त विद्या का स्वामी बन जाता है। यह किसी भी मुसीबत से आसानी से निकल जाते हैं। उनके पास शक्ति प्राप्त होती है। वहीं बारहवें भाव के स्वामी उसी भाव में ही हो तो ऐसे जातक जीवन में राजा शाही जिंदगी जीते हैं। उन्हें किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं उठानी पड़ती।

डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।