सागर, विनोद जैन। यूं तो हिन्दु मुस्लिम विवाद की खबरें आए दिन देखने सुनने को मिलती रहती हैं। लेकिन आज हम आपको हिन्दु-मुस्लिम भाईचारे की एक ऐसी मिसाल बताने जा रहे है, जिन्हों मजहबी भाईचारे को एक नई दिशा दी है।
हिंदू धर्म के हिसाब से पितृपक्ष चल रहा है, जिसके तहत तर्पण, अर्पण, समर्पण का अत्याधिक महात्व है।सागर जिले के सुरखी विधानसभा क्षेत्र के चतुरभटा गांव से मजहबी भाईचारे की एक ऐसी मिसाल सामने आई है, जहां एक ब्राह्मण जिनका नाम रामनरेश दुबे है, जो पितृपक्ष में अपने पूर्वजों का तर्पण तो करते ही है लेकिन साथ साथ अपने स्वर्गवासी मित्र सैयद वाहिद अली का भी तर्पण करते हैं।
बता दें कि यह दोनों अच्छे मित्र रहे हैं, पेशे से वकील सैयद वाहिद अली जो सागर के निवासी थे जिनकी एक सडक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी उनकी और परिवार की आत्मा की शान्ति के लिए पंडित रामनरेश दुबे अपने पूर्वजों के साथ साथ अपने मित्र के लिए भी तर्पण करते हैं।
बता दें कि हिदुं धर्म के हिसाब से पितृ पक्ष का बहुत ही महत्व है। मृत्यु के बाद हिंदु धर्म में मृत व्यक्ति के लिए श्राद्ध करना जरुरी होता है। आगर श्राद्ध नहीं किया जाए तो मरने वाली आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है। वहीं माना जानता है कि पितृ पक्ष के दौरान मृत व्यक्ति का श्राद्ध करने से वो खुश होते है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। वहीं कहा जाता है कि इस दौरान यमराज पितरो को अपने परिजनोम से मिलने के लिए मुक्त कर देते है।