Sawan 2022 : आज है सावन का आखिरी सोमवार, बन रहा पुत्रदा एकादशी के साथ ये खास संयोग

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Sawan 2022

धर्म, डेस्क रिपोर्ट। सावन (Sawan 2022) का आज आखिरी सोमवार (Sawan Somwar) है। ऐसे में आज दो खास योग बन रहे हैं। एक रवि योग और एक पुत्रदा एकादशी (Shravana Putrada Ekadashi) का योग। ऐसे में सावन का आखिरी सोमवार बेहद खास माना जा रहा है। आपको बता दे, पुत्रदा एकादशी (Ekadashi) शुक्ल पक्ष में आती है। इस दिन महिलाऐं व्रत रख अपने लिए संतान के के जीवन में सुख शांति बने रहने की कामना करती है। आज सावन के आखिरी सोमवार के दिन प्रदेश के मंदिरों में काफी ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिल रही है।

महाकाल और ओंकारेश्वर मंदिर में आज सुबह से ही भक्तों का भगवान के दर्शन के लिए तांता लगा हुआ है। दरअसल, आज के सावन का काफी ज्यादा महत्व है ऐसे में आज भक्त व्रत रख भोलेनाथ से मनोकामनाएं मांगते है। जो पूर्ण भी होती है। आपको बता दे, सावन सोमवार के दिन बन रहा खास योग पुत्रदा एकादशी के दिन लोग इसका व्रत रखते हैं। इतना ही नहीं आज आखिरी सोमवार के दिन रवि योग भी बन रहा है।

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ज्योतिष ने बताया है कि रवि योग किसी भी मांगलिक कार्य के लिए अच्छा माना गया है। इस दिन श्रीहरि और महादेव दोनों की कृपा भक्तों को मिलती है। बताया गया है कि आज सुबह 5 बजकर 46 मिनट से दोपहर 2 बजकर 37 मिनट तक रवि योग रहेगा। सावन माह 12 अगस्त के दिन समाप्त हो रहा है। इस बार सावन में कुल 4 सोमवार पड़े है। चारों सोमवार बेहद खास संयोग के साथ आई। हर सोमवार के दिन शिवजी की पूजा करने का एक खास महत्व होता है। ऐसे में ये काफी ज्यादा फलदाई माना जाता है।

पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त –

सावन शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि आरंभ- 7 अगस्त 2022, रात्रि 11.50 मिनट से
सावन शुक्ल पक्ष पुत्रदा एकादशी तिथि समाप्त- 8 अगस्त 2022, रात 9.00 बजे तक
पुत्रदा एकादशी व्रत पारण समय- 9 अगस्त 2022, सुबह 06.01 से 08.26 तक

पुत्रदा एकादशी –

भगवान विष्णु के लिए एकादशी के व्रत रखा जाता है। इस दिन सबसे पहले सुबह उठ कर स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लें। फिर आपको पूजा स्थान पर एक चौकी लगाए जिस पर आप पीला वस्त्र बिछाए। उसके बाद आपको श्रीहरि की प्रतिमा स्थापित करना होगी। फिर आप भगवान विष्णु का दूध में केसर मिलाकर अभिषेक करें। उसके बाद उन्हें फल, पीले पुष्प, पंचामृत, तुलसीदल, मिठाई, सुपारी, लौंग और चंदन चढ़ाएं। उसके बाद धूप-दीप जलाकर पूजा करें और कथा पढ़े। फिर आरती कर लें।


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Ayushi Jain

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