Rahu Kaal : अपने राहु को लोग नाम मायावी ग्रह के नाम से जाना जाता है। उनके किसी भी राशि में गोचर करते ही जातकों के जीवन में तबाही भरे मंजर देखने को मिलते हैं। इन्हें पापी और छाया ग्रह भी कहते हैं। उनकी अच्छी दृष्टि रातों-रात यह आपको मालामाल भी कर सकते हैं, तो वहीं उन्हें कोई चीज बुरी लग गई, तो यह राजा को रंक भी बना सकते हैं। इसलिए किसी की हिम्मत नहीं होती कि उन्हें गलती से भी दुखी या नाराज किया जाए।
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, राहु की महादशा 18 सालों तक चलती है। राहु न्याय के देवता शनि के बाद सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह है।
राहु काल (Rahu Astrology)
राहु का नाम सुनते ही लोगों के सर पर पसीना आ जाता है, क्योंकि कोई नहीं जानता कि कब इनका मन बदल जाए और किस राशि के जातकों को इसका परिणाम भुगतना पड़ जाए। इसलिए राहुकाल के दौरान इस चीजों का करना वर्जित है। लोग इन कार्यों को करने से बचते हैं। आपको भी इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि राहुकाल आपके लिए कितना बुरा हो सकता है।
ना करें ये काम (Rahu Effects)
- राहु काल के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, आदि जैसे शुभ कार्य बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह काल बहुत ही नकारात्मक माना जाता है। इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने से जीवन में विपत्ति आती है। साथ ही भक्तों का बुरा समय शुरू हो जाता है, इसलिए लोग राहु काल के दौरान किसी भी प्रकार की शुभ कार्य करने से बचते हैं।
- कुछ लोग सगाई करते वक्त राहु काल के बारे में जानकारी नहीं रखते, जिसका असर उनके रिश्ते पर देखने को मिलता है। इसलिए राहु काल के दौरान सगाई, गोद भराई, जैसे मांगलिक कार्य भी नहीं करने चाहिए।
- राहु काल के दौरान शॉपिंग करना भी अच्छा नहीं माना जाता है। इस दौरान खरीद और बिक्री लाभदायक नहीं होती। इसका नुकसान व्यापारी या खरीदार को भुगतना पड़ता है।
- राहु काल के दौरान कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहिए, यह आगे चलकर आपके लिए कष्टदायक हो सकता है। इसलिए गलती से भी ऐसी बात ना मानें जो आपके लिए बुरा हो।
समुद्र मंथन में है उल्लेख
राहु का उल्लेख समुद्र मंथन की कथा में मिलता है। जब देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र से अमृत निकला था, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत को सभी देव और असुरों में बांटा था। उस दौरान राहु ने देव रूप धारण कर अमृत पी लिया। जिसकी जानकारी लगते ही सूर्य और चंद्रमा ने भगवान विष्णु से कर दी। इस छल का दंड देने के लिए श्री हरि ने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर काट दिया, लेकिन तब तक वह अमृत पी चुका था… इसलिए उसका सिर और धड़ अमर हो गया। इसलिए यह दो नाम से जाने जाते हैं। सिर को राहु और धड़ को केतु कहा जाता है।
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