Sunday Special: हिंदू धर्म में सूर्य देव को ऊर्जा और जीवन का स्रोत माना जाता है। रविवार को सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि जो लोग जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें रविवार का व्रत रखना चाहिए और सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। सूर्य देव की आरती करना भी बहुत फलदायी होता है। आरती के दौरान वैदिक मंत्रों का जाप करने से मन शांत होता है और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। नियमित रूप से सूर्य देव की पूजा करने से स्वास्थ्य लाभ होता है, मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
सूर्य देव पूजा का महत्व
सूर्य देव की पूजा करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और हम दिन भर तरोताजा महसूस करते हैं। सूर्य देव की कृपा से कई तरह के रोग दूर होते हैं, खासकर आंखों से संबंधित रोग। सूर्य देव आत्मविश्वास और साहस का प्रतीक हैं। उनकी पूजा करने से आत्मविश्वास बढ़ता है। सूर्य देव की भक्ति करने से मन शांत और एकाग्रचित रहता है। सूर्य देव की कृपा से सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
सूर्य देव पूजा का सही तरीका
1. सूर्योदय के समय सूर्य देव की पूजा करना सबसे उत्तम माना जाता है।
2. घर के पूर्व दिशा में या खुले आकाश के नीचे पूजा कर सकते हैं।
3. दीपक, अगरबत्ती, फूल, जल, मिठाई आदि का प्रयोग किया जाता है।
4. सूर्य देव के विभिन्न मंत्रों का जाप किया जाता है। कुछ लोकप्रिय मंत्र हैं:
ॐ सूर्याय नमः
ॐ आदित्याय नमः
ॐ भास्कराय नमः
5. तांबे के लोटे से जल में कुमकुम और चावल मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
6. सूर्य देव की आरती गाकर उनकी पूजा संपन्न की जाती है।
।। भगवान सूर्य की आरती ।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)