मध्य प्रदेश की पवित्र और धार्मिक नगरी उज्जैन में भगवान महाकाल के अलावा भी कई ऐसे प्राचीन मंदिर मिलते हैं, जो अपनी ऐतिहासिकता और धार्मिक महत्व के लिए प्रचलित हैं। दरअसल इनमें से ही एक प्रमुख मंदिर ‘श्री चिंतामन गणेश मंदिर’ भी है, जो आज भी भक्तों की गहरी आस्था का केंद्र बना है। बता दें आज पूरा देश गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का त्यौहार धूमधाम से मना रहा है। वहीं आज इस अवसर पर हम आपको उज्जैन के श्री चिंतामन गणेश मंदिर का इतिहास और इसकी प्रमुख पौराणिक कथाओं के बारे में बताने जा रहे हैं।
दरअसल भगवान गणेश का यह मंदिर अपनी विशिष्टता और धार्मिक महत्व के कारण श्रद्धालुओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय है। बता दें कि इस मंदिर में भगवान गणेश की तीन प्रमुख मूर्तियाँ स्थापित हैं। मान्यताओं के अनुसार इन मूर्तियों की स्थापना त्रेता युग में भगवान श्रीराम, माता सीता, और लक्ष्मण द्वारा की गई थी।
उज्जैन के चिंतामन गणेश मंदिर में भगवान गणेश के इन तीन प्रमुख स्वरूपों की होती है पूजा:
चिंतामन गणेश: इस स्वरूप की स्थापना भगवान राम ने की थी।
इच्छामन गणेश: इसे लक्ष्मण जी ने प्रतिष्ठित किया था।
सिद्धिविनायक गणेश: इस प्रतिमा की स्थापना माता सीता द्वारा की गई थी।
दरअसल यह मंदिर देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ भगवान गणेश के इन तीनों स्वरूपों की पूजा एक साथ की जाती है। वहीं श्रद्धालुओं का यह भी विश्वास है कि गणेश जी की आशीर्वाद से उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और उनके प्रयास भी सफल होते हैं। इसीलिए इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।
यहां जानिए इसकी पौराणिक कथा
वहीं मंदिर के पुजारी जयंत पुजारी के मुताबिक, त्रेता युग में भगवान राम रामघाट से गुजर रहे थे तब उन्होंने इस पवित्र स्थल पर गणेश जी की पूजा की और यहाँ तीन प्रमुख प्रतिमाओं की स्थापना की थी। वहीं इनमें चिंतामन गणेश भगवान राम द्वारा, इच्छामन गणेश लक्ष्मण जी द्वारा, और सिद्धिविनायक गणेश माता सीता द्वारा स्थापित की गई थी। पुजारी के अनुसार, इस मंदिर में गणेश जी के इन तीनों स्वरूपों की एक साथ पूजा कहीं और नहीं होती, जिससे यह स्थल विशेष महत्व रखता है।
बता दें कि गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) से लेकर अनंत चतुर्दशी (7 से 17 सितंबर) तक चिंतामन गणेश मंदिर में गणेशोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दौरान भगवान गणेश की विशेष सजावट की जाएगी और उन्हें छप्पन भोग अर्पित किए जाएंगे। मंदिर में महाआरती भी की जाएगी। वहीं गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के दिन, सुबह 4 बजे मंदिर के पट खोले गए और पंचामृत पूजन तथा अभिषेक किया गया।