Tuesday Special: हिंदू धर्म में सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी देवताओं को समर्पित होता है।आज मंगलवार है और मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित होता है। यह दिन वीर बजरंगबली की पूजा और व्रत रखने के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। मान्यता है कि मंगलवार के दिन भगवान हनुमान की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं, ग्रह शांत होते हैं, और भक्तों को आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। मंगलवार के दिन भगवान हनुमान की पूजा के साथ-साथ पंचमुखी हनुमत कवच का पाठ भी अवश्य करना चाहिए, इस कवच को लेकर ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस कवच का पाठ करता है उसके जीवन के तमाम संकट दूर हो जाते हैं नकारात्मक शक्तियां दूर रहती है साथ ही साथ व्यक्ति का आत्मविश्वास भी बढ़ता है, इसी के साथ चलिए जानते हैं कि हनुमत कवच का पाठ कैसे करते हैं।
पंचमुखी हनुमत कवच का पाठ करने की विधि
1. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
2. एक चौकी या आसन पर बैठें।
3. अपने सामने भगवान हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र रखें।
4. घी का दीपक जलाएं और धूप जलाएं।
5. फूल और फल भगवान हनुमान जी को अर्पित करें।
6. पवित्र जल से हाथ धो लें।
7. शांत मन से पंचमुखी हनुमत कवच का पाठ करें।
8. पाठ करते समय ध्यान भगवान हनुमान जी पर केंद्रित रखें।
9. पाठ पूर्ण करने के बाद भगवान हनुमान जी की आरती गाएं।
पंचमुखी हनुमत कवच के क्या-क्या लाभ होते हैं
यह मन्त्र आपको भगवान हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है। यह मन्त्र आपको नकारात्मक शक्तियों से बचाता है। यह मन्त्र आपके आत्मविश्वास को बढ़ाता है। यह मन्त्र आपके ग्रहों की कुंडली में दोषों को दूर करता है। यह मन्त्र आपके जीवन में सफलता और समृद्धि लाता है। यह मन्त्र आपको भय और चिंता से मुक्त करता है। यह मन्त्र आपको रोगों से बचाता है। यह मन्त्र आपके परिवार में शांति और सुख-समृद्धि लाता है। चलिए जानते हैं कैसे करें पंचमुखी हनुमत कवच का पाठ
“पंचमुखी हनुमत कवच”
॥श्री गरुड उवाच ॥
अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि शृणु सर्वांगसुंदर।
यत्कृतं देवदेवेन ध्यानं हनुमत: प्रियम्।।
महाभीमं त्रिपञ्चनयनैर्युतम्|
बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थसिद्धिदम्।।
पूर्वं तु वानरं वक्त्रं कोटिसूर्यसमप्रभम्।
दंष्ट्राकरालवदनं भ्रुकुटिकुटिलेक्षणम्।।
अस्यैव दक्षिणं वक्त्रं नारसिंहं महाद्भुतम्।
अत्युग्रतेजोवपुषं भीषणं भयनाशनम्।।
पश्चिमं गारुडं वक्त्रं वक्रतुण्डं महाबलम्।
सर्वनागप्रशमनं विषभूतादिकृन्तनम्।।
उत्तरं सौकरं वक्त्रं कृष्णं दीप्तं नभोपमम्।
पातालसिंहवेतालज्वररोगादिकृन्तनम्।।
ऊर्ध्वं हयाननं घोरं दानवान्तकरं परम्।
येन वक्त्रेण विप्रेन्द्र तारकाख्यं महासुरम्।।
जघान शरणं तत्स्यात्सर्वशत्रुहरं परम्।
ध्यात्वा पञ्चमुखं रुद्रं हनुमन्तं दयानिधिम्।।
खड़्गं त्रिशूलं खट्वाङ्गं पाशमङ्कुशपर्वतम्।
मुष्टिं कौमोदकीं वृक्षं धारयन्तं कमण्डलुम्।।
भिन्दिपालं ज्ञानमुद्रां दशभिर्मुनिपुङ्गवम्।
एतान्यायुधजालानि धारयन्तं भजाम्यहम्।।
प्रेतासनोपविष्टं तं सर्वाभरणभूषितम्।
दिव्यमाल्याम्बरधरं दिव्यगन्धानुलेपनम्।।
सर्वाश्चर्यमयं देवं हनुमद्विश्वतो मुखम्।
पञ्चास्यमच्युतमनेकविचित्रवर्णवक्त्रं।।
शशाङ्कशिखरं कपिराजवर्यम्।
पीताम्बरादिमुकुटैरुपशोभिताङ्गं
पिङ्गाक्षमाद्यमनिशं मनसा स्मरामि।।
मर्कटेशं महोत्साहं सर्वशत्रुहरं परम्।
शत्रुं संहर मां रक्ष श्रीमन्नापदमुद्धर।।
ॐ हरिमर्कट मर्कट मन्त्रमिदं परिलिख्यति लिख्यति वामतले|
यदि नश्यति नश्यति शत्रुकुलं यदि मुञ्चति मुञ्चति वामलता।।
बजरंग बली की जय, वीर हनुमान की जय, संकटमोचन हनुमान जी की जय!!!
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)