इंग्लैंड के खिलाफ यशस्वी और शुभमन ने खेली कमाल की पारी, 60 साल पहले की दिलाई याद

इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट मुकाबले में यशस्वी जायसवाल और शुभमन गिल ने शानदार पारी खेलते हुए साल 1964 में मंसूर अली खान और बुद्धि कुंदरन की पारी की याद दिला दी।

Shashank Baranwal
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Yashasvi Jaiswal

Ind vs Eng: इंग्लैंड के खिलाफ 5 टेस्ट मैचों की सीरीज का दूसरा मुकाबला खेला विशाखापट्टनम में खेला जा रहा है। जहां भारत ने 332 रनों की लीड बनाई हुई है। वहीं इस मुकाबले में भारत के युवा बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल और शुभमन गिल ने अपनी बेहतरीन पारी से एक नया कारनामा किया है। जोकि 60 सालों बाद इन दोनों भारतीय खिलाड़ियों ने कर के दिखाया है।

जायसवाल और शुभमन खेली कमाल की पारी

इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट मुकाबले की पहली पारी में यशस्वी जायसवाल ने दोहरा शतक लगाया था। इस दौरान उन्होंने 290 गेंदों में 7 छक्के और 19 चौकों की मदद से 209 रनों की पारी खेली थी। दूसरी तरफ शुभमन गिल ने दूसरी पारी में शानदार शतकीय पारी खेली। इस दौरान गिल ने 147 गेंदों में 2 छक्के और 11 चौकों की मदद से 104 रन बनाए। बता दें यह कारनामा दोनों बल्लेबाजों ने 25 साल से कम उम्र मे की है, जोकि कई दशकों के पीछे की याद दिलाती है।

60 साल के बाद हुआ ऐसे

गौरतलब है कि 60 साल पहले 25 साल से कम उम्र के भारत के दो खिलाड़ी इंग्लैंड के खिलाफ साल 1964 में ऐसा ही कारनामा रचा था। बता दें मंसूर अली खान पटौदी और बुद्धि कुंदरन ने इंग्लैंड के खिलाफ दोहरा शतक और शतकीय पारी खेली थी। इस दौरान मंसूर अली खान ने दोहरा शतक लगाते हुए 203 रन बनाए थे। जबकि बुद्धि कुंदरन ने 100 रनों की शतकीय पारी खेली थी।

दूसरी पारी में इंग्लैंड का पहला विकेट गिरा

भारत ने दूसरी पारी के लिए इंग्लैंड को 399 रन का लक्ष्य दिया है। जिसका पीछा करने उतरी इंग्लैंड की टीम ने तीसरे दिन का खेल खत्म होने तक 1 विकेट गंवाकर 67 रन बनाई है। वहीं इंग्लैंड अभी 332 रनों की लीड बनाई हुई है।


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है– खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो मैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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