Ranji Trophy 2024: फाइनल मुकाबले में मुंबई के लिए शार्दुल बने ‘लॉर्ड’, अर्धशतक जड़कर संभाली टीम की पारी

सेमीफाइनल की तरह फाइनल में भी श्रेयस अय्यर और अजिंक्य का प्रदर्शन काफी अच्छा नहीं रहा। दोनों खिलाड़ी कम रनों पर ही जल्दी आउट हो गए।

Shashank Baranwal
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Shardul Thakur

Ranji Trophy 2024: रणजी ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला मुंबई और विदर्भ के बीच वानखेड़े स्टेडियम में खेला जा रहा है। जहां टॉस हारकर बल्लेबाजी करने उतरी मुंबई की टीम ने 64.3 ओवर में 224 रनों पर ऑलआउट हो गई। वहीं पहले दिन का खेल खत्म होने तक विदर्भ की टीम 13 ओवर में 3 विकेट खोकर 31 रन बनाई है। वहीं फाइनल मुकाबले में ऑलराउंडर शार्दुल ठाकुर ने आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी की।

शार्दुल ने संभाली मुंबई की पारी

टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी मुंबई की टीम बढ़िया प्रदर्शन नहीं कर पाई। मुंबई टीम 111 रनों पर ही 6 विकेट गंवा चुकी थी। वहीं शार्दुल ठाकुर ने एक बार फिर टीम की पारी को संभाला। इस दौरान उन्होंने 69 गेंदों 3 छक्के और 8 चौके की मदद से 75 रनों की शानदार अर्धशतकीय पारी खेली। जिसके बदौलत टीम ने एक अच्छा स्कोरबोर्ड खड़ा कर पाई।

श्रेयस और अजिंक्य का रहा खराब प्रदर्शन

सेमीफाइनल की तरह फाइनल में भी श्रेयस अय्यर और अजिंक्य का प्रदर्शन काफी अच्छा नहीं रहा। दोनों खिलाड़ी कम रनों पर ही जल्दी आउट हो गए। श्रेयस अय्यर ने 15 गेंदे खेलकर 1 चौके की मदद से महज 7 रन ही बन पाए। जबकि अजिंक्य रहाणे का बल्ला भी कुछ अच्छा कमाल नहीं कर पाया। रहाणे ने भी 35 गेंद खेलकर सिर्फ 7 रन ही बनाए।

विदर्भ टीम के जल्दी गिरे 3 विकेट

विदर्भ की टीम का भी शुरूआती दौर ज्यादा अच्छा नहीं रहा। पहले दिन का खेल खत्म होने तक मुंबई ने टीम के 3 विकेट गिराने में सफल रही। इस दौरान धवल कुलकर्णी 6 ओवर में 9 रन देकर 2 विकेट पाने में सफल रहे। वहीं शार्दुल ठाकुर ने भी 5 ओवर में 14 रन देकर 1 विकेट हासिल कर लिया।

 


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है– खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो मैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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