Google Restores Indian Apps: सरकार के ऐतराज के बाद गूगल ने वापस लिया फैसला, इन भारतीय एप्स को प्ले स्टोर से किया था रिमूव

गूगल द्वारा भारतीय एप्स के रिमूव करने के फैसले पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कड़ा विरोध जताया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि गूगल को एप्स रिमूव के फैसले की अनुमति नहीं दी जाएगी।

Shashank Baranwal
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Google Restores delisted Indian apps: गूगल ने शुक्रवार को भारतीय एप्स को गूगल प्ले स्टोर से रिमूव कर दिया था। जिसमें Shadi.com, Naukri.com जैसे कई चुनिंदा एप्स शामिल थे। वहीं गूगल के इस फैसले पर एप्स के फाउंडर और सीईओ ने विरोध जताया था किया। वहीं इसको सरकार के हस्तक्षेफ के बाद गूगल ने इस फैसले को वापस ले लिया गया है। इस संबंध में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कड़ा ऐतराज जताया।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जताय विरोध

गूगल द्वारा भारतीय एप्स के रिमूव करने के फैसले पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कड़ा विरोध जताया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि गूगल को एप्स रिमूव के फैसले की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके लिए सोमवार को सरकार एप्स के मालिकों और गूगल के साथ मीटिंग भी आयोजित करने वाली है। लेकिन उसके पहले ही गूगल ने एप्स रिमूव के फैसले को वापस ले लिया।

इस वजह से किया था रिमूव

गूगल ने तमाम भारतीय एप्स को बिलिंग पॉलिसीज की वजह से रिमूव किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इन एप्स ने सर्विस फीस का भुगतान नहीं किया था। जिसके कारण गूगल ने यह फैसला लिया था। आपको बता दें कि स्टार्टअप्स चाहते हैं कि गूगल द्वारा सर्विस फीस ना लिया जाए। जिसके कारण स्टार्टअप्स ने भुगतान नहीं किया था।

ये एप्स हुए थे रिमूव

भारत के कई जाने माने एप्स को गूगल ने रिमूव किया था। जिसमें Shadi.com, Naukri.com, kuku fm, 99 acres, Bharat Matrimony, Truly Madly, Quack Quack, Stage, ALTT (Alt Balaji) जैसे कई एप्स थे। आपको बता दें गूगल की तरफ से रिमूव एप्स की कोई लिस्ट जारी नहीं की गई थी।


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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