साइबर क्राइम: इन बातों का रखेंगे ध्यान…तो कभी नहीं होंगे शिकार

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आज हमारा दिन शुरू होता है तकनीक से साथ और खत्म भी उसी से होता है। हमारा मोबाइल एक तरह से हमारे जीवन की फोटोपकॉपी बन गया है। मोबाइल कम्प्यूटर के द्वारा हम न सिर्फ फोन, मैसेज, ईमेल आदि करते हैं बल्कि अब तो बैकिंक, शॉपिंग, व्यावसायिक कार्य से लेकर लगभग हर चीज इन्हीं के माध्यम से होने लगी हैं। ऐसे में अगर हमें साइबर क्राइम के प्रति भी जागरूक रहने की जरूरत है। साइबर क्राइम एक ऐसा अपराध है जिसमें मोबाइल और कंप्यूटर और नेटवर्क शामिल है। किसी भी कंप्यूटर का आपराधिक स्थान पर मिलना या कंप्यूटर से कोई अपराध करना कंप्यूटर अपराध कहलाता है। किसी कि निजी जानकारी को प्राप्त करना और उसका गलत इस्तमाल करना इसके अंतर्गत आता है। किसी की भी निजी जानकारी कंप्यूटर से निकाल लेना या चोरी कर लेना भी साइबर अपराध है।

साइबर क्राइम भी कई प्रकार से किये जाते है जैसे कि जानकारी चोरी करना, जानकारी मिटाना, जानकारी में फेर बदल करना, किसी कि जानकारी को किसी और देना आदि। स्पैम ईमेल, हैकिंग, फिशिंग, वायरस को डालना, किसी की जानकारी को ऑनलाइन प्राप्त करना या किसी पर हर वक़्त नजर रखना भी इसी श्रेणी में आता है। भारत इंटरनेट का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाला दुनिया का तीसरा देश है, ऐसे में हमें इस बारे में पूरी तरह सचेत रहना चाहिए कि आखिर साइबर क्राइम किस तरह से होते हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है।

हैकिंग या निजी जानकारी चुराना – साधारण भाषा में हैकिंग कहे जाने वाले क्राइम में साइबर अपराधी आपके कंप्‍यूटर नेटवर्क में प्रवेश कर आपकी निजी जानकारी जैसे – आपका नेटबैंकिग पासवर्ड, आपके क्रेडिट कार्ड की जानकारी आदि को चुरा लेते हैं और इसका दुरूपयोग करते हैं, इसी का दूसरा रूप होता है फिंशिग, जिसमें आपको फर्जी ईमेल आदि भेजकर ठगा सकता है।

वायरस द्वारा अपराध करना – साइबर अपराधी कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर आपके कम्प्यूटर या मोबाइल पर भेजते हैं जिसमें वायरस छिपे हो सकते हैं। इनमें वायरस, वर्म, टार्जन हॉर्स, लॉजिक हॉर्स आदि वायरस शामिल हैं, यह आपके कम्प्यूटर या मोबाइल को काफी हानि पहुंचा सकते हैं साथ ही उनमें छिपी जानकारी अपराधी तक भी पहुंच सकती है। 

सॉफ्टवेयर पायरेसी – सॉफ्टवेयर की नकली तैयार कर सस्‍ते दामों में बेचना भी साइबर क्राइम के अन्‍तर्गत आता है, इससे साफ्टवेयर कम्पनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है साथ ही साथ आपके कीमती उपकरण भी ठीक से काम नहीं करते हैं। 

फर्जी फोन द्वारा बैंकिंग जानकारी प्राप्त करना – आजकर इंटरनेट द्वारा बैंकिंग धोखाधड़ी करने के मामसे सबसे ज्याजा सामने आ रहे है। इसके लिए साइबर अपराधियों ने नए नए तरीके इजाद कर  लिए हैं। इसलिए अगर आपको कभी भी लगे कि बैंकिंग को लेकर कोई भी संदेहजनक मैसेज या फोन आया है तो उसका जवाब न दें और तुरंत साइबर क्राइम ब्रांच को इसकी जानकारी दें।

साइबर बुलिंग – फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग पर अशोभनीय कमेंट करना, इंटरनेट पर धमकियॉ देना किसी का इस स्‍तर तक मजाक बनाना कि तंग हो जाये, इंटरनेट पर दूसरों के सामने शर्मिंदा करना, इसे साइबर बुलिंग कहते हैं। अक्‍सर बच्‍चे इसका शिकार होते हैं। इसी के साथ इंटरनेट के माध्यम से अफवाहें फैलाना और समाज में नकारात्मक वातारवण का निर्माण करने की कोशिश भी साइबर अपराधियों द्वारा की जाती है।

इस तरह साइबर अपराधी कई प्रकार से अपना निशाना तलाशते हैं। इनसे बचने के लिए जरूरी है कि आप अपने कम्प्यूटर और मोबाइल के इस्तेमाल के दौरान सजग व सतर्क रहें। आप अपने कम्प्यूटर में अगर इंटरनेट का प्रयोग करते हैं, तो सबसे पहले आप अपने पर्सनल कम्प्यूटर को पासवर्ड से सुरक्षित कीजिए, जिससे कोई दूसरा व्यक्ति बिना आपके जानकारी के आपका कम्प्यूटर प्रयोग न कर सकें। इसके साथ आप यह भी सुनिश्चित करें कि आपके कम्प्यूटर में लेटेस्ट सिक्योरिटी  अपडेटेड इन्सटाल्ड है या नहीं। साथ ही यह भी चेक करें की आपका एंटी वायरस और एंटी स्पाई वेयर सॉफ्टवेयर ठीक से काम कर रहा है या नहीं और उसके वेंडर से जरुरी अपडेट्स आ रहा है या नहीं।

अपना पासवर्ड चुनते समय सतर्क रहिए और हमेशा ही कोई बहुत स्ट्रांग पासवर्ड का प्रयोग करें, जिससे आसानी से किसी को पता न चले।  क्योंकि साइबर क्रिमिनल प्रोग्रामर ऐसे सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का निर्माण करते हैं जो की आपके साधारण से पासवर्ड को आसानी से हैक कर सकता है। आपका पासवर्ड कम से कम आठ कैरेक्टर का हो जो की लोअर केस लेटर्स, अपर केस लेटर्स, नंबर्स और स्पेशल कैरेक्टर्स का मिश्रण हो. अगर आप एक से अधिक अकाउंट्स का प्रयोग करते हैं, तो सभी के लिए अलग- अलग पासवर्ड का प्रयोग करें। 

सबसे अधिक सतर्कता अपने बैकिंग क्रियाकलापों को लेकर रखने की है। अपने इंटरनेट बैंकिंग और बैंकिग ट्रांजिक्शन का इस्तेमाल कभी भी सार्वजनिक स्थान जैसे कि साइबर कैफे, ऑफिस, पार्क, सार्वजनिक मीटिंग और किसी भीड़-भाड़ वाले स्थान पर न करें। किसी भी प्रकार के बैंकिंग लेन-देन के लिए आप अपने पर्सनल कम्प्यूटर या लैपटॉप का ही इस्तेमाल करें. जब कभी भी आप अपने इंटरनेट बैंकिंग या किसी भी जरुरी अकाउंट में लॉगिन करें, तो काम खत्म कर अपने अकाउंट को लॉगआउट करना न भूलें और जब आप लॉगिन कर रहें, हो तब इस बात पर जरूर धयान दें कि पासवर्ड टाइप करने के बाद कम्प्यूटर द्वारा पूछे जा रहे ऑप्शन रिमेब्बर पासवर्ड या कीप लॉगिन में क्लिक न करें। कभी भी आप अपने बैंकिंग यूजर नेम, लॉगिन पासवर्ड, ट्रांजिक्शन पासवर्ड , ओ.टी.पी, गोपनीय प्रश्‍नों या गोपनीय उत्तर को अपने मोबाइल, नोटबुक, डायरी, लैपटॉप या किसी कागज पर न लिखें, हमेशा आप ऐसा पासवर्ड सेट करें, जो की आपको आसानी से याद रहे और आपको इसे कहीं लिखने की आवश्यकता न पड़े। इस प्रकार थोड़ी सतर्कता और ऐहतियात बरतकर आप साइबर क्राइम का शिकार होने से बच सकते हैं।


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