150 से ज्यादा गिनीज रिकॉर्ड्स वाले ‘दुकानजी’ महाकुंभ में बिखेरेंगे जलवा, मूंछों से करेंगे डांस

प्रयागराज के महाकुंभ मेला 2025 में एक नाम जो सबकी नज़रें अपनी ओर खींचेगा, वह है राजेंद्र तिवारी, जिन्हें 'दुकानजी' के नाम से भी जाना जाता है। मूंछों के नृत्य में माहिर और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के धारक, राजेंद्र तिवारी अपनी कला के जरिए महाकुंभ में एक नया इतिहास रचने के लिए तैयार हैं।

Bhawna Choubey
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Prayagraj Mahakumbh Mela 2025: प्रयागराज महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी यानी आज से शुरू हो रहा है, जो कि धार्मिक आस्था और भारतीय संस्कृति के इस अद्भुत संगम का साक्षी बनेगा.पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर पहला शाही स्नान होगा जो कुंभ मेले की शुरुआत की शान बढ़ा देगा.

देशभर से साधु, संत, नागा साधु, कल्पवासी और करोड़ों श्रद्धालु संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करने के लिए प्रयागराज पहुँच रहे हैं. गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम पर स्नान करने का विशेष महत्व है, जिसे मोक्ष प्राप्ति और पापों से मुक्ति का मार्ग माना जाता है.

महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बनेंगे ‘दुकानजी’

प्रयागराज के राजेंद्र तिवारी जिन्हे ‘दुकानजी’ के नाम से भी जाना जाता है. ये महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं और साधु-संतों के बीच अपनी अनोखी कला के चलते आकर्षण का केंद्र बनेंगे. ‘दुकानजी’ के नाम से जाने जाने वाले राजेंद्र तिवारी की खासियत यह है कि ये अपनी मूंछों नृत्य करते हैं.

‘दुकानजी’ की अनोखी कला

सबसे ज़्यादा ख़ास बात यह है कि उनका पूरा शरीर एक ही जगह स्थिर रहता है केवल मूंछों की भाव भंगिमाओं से अद्भुत प्रदर्शन किया जाता है. उनके द्वारा दिखाई गई यह कला लोगों को अत्यंत पसंद आती है.

दुकानजी की दिलचस्प कहानी

आपको बता दें राजेंद्र तिवारी यानी दुकानजी की कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है जितना कि उनका नाम. दुकानजी बताते हैं, कि जब वह 17 साल के थे तब माघ मेले में उनकी मुलाक़ात एक साधु संत से हुई. साधु उन्हें हिमालय ले गए और दो महीने तक अपने साथ रखा. जब वह लौटने लगे तो साधु ने उन्हें अपनी मूंछे कभी न कटवाने की सलाह दी. तब से उन्होंने अपनी मूंछों को अपनी पहचान बना दिया.

आपको यह जानकर हैरानी होगी की दुकानजी ने अपनी अनोखी कला से ना केवल भारत में पहचान बनायी है. बल्कि दुनिया भर में उन्हें जाना जाता है. 1988 से वे अपनी मूंछों पर मोमबत्तियाँ जलाकर नृत्य का प्रदर्शन कर रहे हैं, जो उन्हें अन्य नृत्य शैलियों से बिलकुल अलग बनाता है.

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मिली सरहाना

एक तरफ़ जहाँ कुचिपुड़ी, कथक, भारतनाट्यम, कथकली ,ओडिसी जैसे नृत्य शैलियां दर्शकों को आकर्षित करती है. वहीं दूसरी तरफ़ दुकानजी की मूछों के नृत्य ने अपनी अनोखी छाप छोड़ी है. इतना ही नहीं इस कला को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सरहाना मिली है.

इन रिकॉर्ड बुक में दर्ज हुआ नाम

दुकानजी का नाम उनकी अद्धभुत कला के लिए कई प्रतिष्ठित रिकॉर्ड बुक में दर्ज किया जा चुका है. 1994 में उनका नाम लिंबा बुक, 1995 में गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड, और 2012 में इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में शामिल हुआ.

टीवी शो में बना चुके हैं अपनी पहचान

साधारण परिवार में जन्मे दुकानजी ने न सिर्फ़ कला के क्षेत्र में बल्कि सामाजिक कार्यों में भी अपनी अलग पहचान बनायी है. प्रयागराज की स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर के रूप में भी दुकान जी अपनी समाज सेवा और जागरूकता अभियानों के लिए पहचाने जाते हैं. डेढ़ सौ से अधिक पुरस्कार जीतने वाली दुकानजी कई चर्चित TV शो जैसे ‘शाबाश इंडिया’ और ‘एंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा’ में अपनी प्रस्तुति देकर देशभर में अपनी प्रतिभा का लोहा बनवा चुके हैं.


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Bhawna Choubey

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इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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