उत्तराखंड में जारी पंचायत चुनावों के बीच भारतीय जनता पार्टी ने एक बड़ी राजनीतिक उपलब्धि हासिल की है। सोमवार, 11 अगस्त को पार्टी ने राज्य की चार जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर निर्विरोध जीत दर्ज की। उत्तरकाशी से रमेश चौहान, पिथौरागढ़ से जितेंद्र प्रसाद, उधम सिंह नगर से अजय मौर्या और चंपावत से आनंद सिंह अधिकारी को किसी ने चुनौती नहीं दी, जिससे वे सीधे विजयी घोषित हुए। यह जीत न केवल बीजेपी के स्थानीय संगठन की मजबूती को दर्शाती है बल्कि यह भी संकेत देती है कि कई जिलों में विपक्ष की पकड़ कमजोर पड़ रही है। ज्ञात रहे कि कुछ दिन पहले ही उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को लेकर वोट डाले गए थे।
11 ब्लॉक प्रमुख भी बीजेपी के कब्जे में
जिला पंचायत अध्यक्षों के अलावा, बीजेपी ने 11 ब्लॉक प्रमुख पदों पर भी निर्विरोध जीत हासिल की। इनमें चंपावत से अंचला बोरा, काशीपुर से चंद्रप्रभा, सितारगंज से उपकार सिंह, खटीमा से सरिता राणा, भटवाड़ी से ममता पंवार, डुंडा से राजदीप परमार, जाखणीधार से राजेश नौटियाल, चंबा से सुमन सजवाण, विकासनगर से नारायण ठाकुर, पाबौ से लता देवी और ताकुला से मीनाक्षी आर्य शामिल हैं।
इतनी बड़ी संख्या में निर्विरोध जीत पार्टी कार्यकर्ताओं के उत्साह को दोगुना कर रही है और संगठन को 2027 विधानसभा चुनाव की दिशा में मजबूती दे रही है।
कांग्रेस की स्थिति और आरोप-प्रत्यारोप
कांग्रेस के लिए यह चुनाव निराशाजनक साबित हुए हैं। जिला पंचायत अध्यक्षों और ब्लॉक प्रमुखों की 15 अहम सीटों में से एक भी जीत हासिल न कर पाना पार्टी के लिए गंभीर चिंता का विषय है। कई सीटों पर तो कांग्रेस के पास नामांकन के लिए प्रत्याशी ही नहीं थे। धारचूला ब्लॉक प्रमुख सीट को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि यह सीट जनजाति महिला के लिए आरक्षित थी, लेकिन बीजेपी ने गैर-जनजाति महिला को उम्मीदवार बना दिया। कांग्रेस ने इसे चुनावी नियमों का उल्लंघन बताते हुए निर्वाचन आयोग में शिकायत करने की बात कही है।
2027 चुनाव का सेमीफाइनल
राजनीतिक जानकार मौजूदा पंचायत चुनावों को 2027 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल मान रहे हैं। बीजेपी के लिए इतनी बड़ी संख्या में निर्विरोध जीत का मतलब है कि कई जिलों में उसकी पकड़ अभी भी मजबूत है। दूसरी ओर, कांग्रेस को अब अपनी चुनावी रणनीतियों पर गंभीरता से पुनर्विचार करना होगा। बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के लिए तैयारियां शुरू कर चुकी है, जबकि कांग्रेस की कोशिश है कि वह जनता के भरोसे को वापस जीत सके। हालांकि, फिलहाल का गणित बीजेपी के पक्ष में दिखाई दे रहा है।





