नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने चुनाव परिणामों की घोषणा पर रोक लगा दी है। हालांकि 14 अगस्त को होने वाले मतदान और बाकी चुनावी प्रक्रिया जारी रहेगी। यह फैसला आरक्षण व्यवस्था को लेकर दाखिल याचिका के बाद आया है, जिसमें सरकार की ओर से तय की गई आरक्षित सीटों को चुनौती दी गई थी।
कोर्ट में पहुंचा मामला, सरकार को नोटिस
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए भी 14 अगस्त 2025 को मतदान होना है। लेकिन इससे पहले नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जिलों की आरक्षित सीटों को चुनौती दी गई। याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार द्वारा किया गया आरक्षण निर्धारण असंवैधानिक है।
हाईकोर्ट ने इस मामले में उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी करते हुए तुरंत जवाब देने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदान की प्रक्रिया जारी रहेगी, लेकिन परिणामों पर रोक रहेगी जब तक मामले पर अंतिम फैसला नहीं हो जाता।
14 अगस्त को मतदान, लेकिन परिणामों पर रोक
14 अगस्त को पूरे राज्य में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के लिए मतदान होना है। मतदान के बाद उसी दिन मतगणना की भी तैयारी है।
इस चुनाव में 12 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए वोटिंग होगी, जबकि 89 ब्लॉकों में ब्लॉक प्रमुख पद के लिए मतदान कराया जाएगा। हालांकि अब कोर्ट के आदेश के बाद सिर्फ ब्लॉक प्रमुख के नतीजे घोषित किए जाएंगे, लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष के परिणाम रोके जाएंगे।
किन जिलों की सीटों पर उठे सवाल?
उत्तराखंड सरकार ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण सूची पहले ही जारी कर दी थी। इसमें कुछ जिलों की सीटों को महिलाओं, एससी और ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित किया गया था। उदाहरण के लिए-
- अल्मोड़ा, देहरादून, पौड़ी, रुद्रप्रयाग और टिहरी जिलों की सीटें महिला आरक्षित की गई हैं।
- बागेश्वर की सीट SC महिला के लिए आरक्षित की गई है।
- उधम सिंह नगर की सीट ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित घोषित हुई है।
- इन्हीं आरक्षण तय करने की प्रक्रिया को लेकर कुछ प्रत्याशियों ने आपत्ति जताई और इसे गलत व पक्षपातपूर्ण बताया है।
अब आगे क्या?
फिलहाल हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार को तर्कसंगत जवाब देना होगा, ताकि कोर्ट तय कर सके कि आरक्षण प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी हुई या नहीं। यदि कोर्ट को आरक्षण में त्रुटि मिलती है, तो पूरे चुनाव को रद्द कर नया आरक्षण तय किया जा सकता है। हालांकि जब तक कोर्ट अंतिम निर्णय नहीं सुनाता, तब तक जिला पंचायत अध्यक्ष के परिणाम घोषित नहीं किए जा सकेंगे।





