Video : बंदर के हाथ में उस्तरा, क्यों कर रहा है उस्तरे की धार तेज़

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। ‘बंदर के हाथ में उस्तरा’ ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी। इस पुरानी कहावत का अर्थ है कि अनाड़ी या मूर्ख व्यक्ति के हाथ कोई शक्ति या अधिकार नहीं आना चाहिए। ऐसा होने पर या तो वो इसका दुरुपयोग करेगा या फिर किसी का नुकसान। इसे लेकर एक कहानी भी प्रचलित है कि पुराने समय में एक राजा की बंदर से दोस्ती थी। वो बंदर उन्हें बहुत प्रिय था और वे हमेशा उसे अपने साथ रखते थे।

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एक दिन राजा अपने शयनकक्ष में गहरी नींंद सो रहे थे और बंदर वहीं बैठा था। अचानक एक मक्खी आई और राजा को परेशान करने लगी। कभी वो राजा के गाल पर बैठती कभी कान के पास भिनभिनाती। बंदर ने उसे उड़ाने की काफी कोशिश की लेकिन मक्खी नहीं भागी। इसपर गुस्से में आकर बंदर ने मक्खी को मारने का फैसला किया और वही रखा उस्तरा या तलवार उठा ली। अब जैसे ही मक्खी राजा की नाक पर बैठी, बंदर ने झट से उस्तरा चला दिया। मक्खी तो उड़ गई लेकिन राजा की नाक कट गई। ये कहानी हमें बताती है कि मूर्ख मित्र से बुद्धिमान शत्रु भला है।

बंदर के हाथ में उस्तरा वाली कहावत वहीं से उपजी है और इसका प्रयोग हम अक्सर करते रहते हैं। लेकिन क्या आपने सच में बंदर के हाथ में उस्तरा देखा है। आज हम ऐसा ही एक वीडियो आपके लिए लेकर आए हैं। इसमें एक बंदर नजर आ रहा है और उसके हाथ में उस्तरा है। बात इतनी ही नहीं..वो बाकायदा उस्तरे की धार तेज कर रहा है। उस्तरे में पानी लगाकर पत्थर पर घिसकर उसकी धार बनाई जा रही है। अब ये समझना मुश्किल है कि आखिर बंदर ने ये काम सीखा कैसे और वो ये क्यों कर रहा है। बहरहाल आप वाकई में देखिए बंदर के हाथ में उस्तरा और एक बार फिर इस कहावत को अच्छे से दोहरा लीजिए कि ऐसे बंदरों से दूर रहना ही ठीक।

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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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